रीतिकाल के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर -
1. ‘‘बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय
सौंह करे भौंहन हंसे दैन कहै नट जाय।’’ -किसकी पंक्तियां हैं?-बिहारी
2. ‘‘तेरे नैन मेरे मन के खिलौना’’-किसकी पंक्तियां हैं?- सेनापति
3. ‘‘कुंदन को रंग फीको लगै झलकै अति अंगन चारू गोरई’’-किसकी पंक्तियाँ हैं?- मतिराम
4. ‘‘अमिय हलाहल मदभरे, स्वेत, स्याम, रतनार
जियत मरत झुकिझुकि परत जेहिं चितवत एक बार।। -किसकी पंक्तियाँ हैं? - रसलीन
5. ऋतुवर्णन के लिए रीतिकाल में कौन से कवि प्रसिद्ध हैं- सेनापति
6. रीतिकाल के किस कवि ने भक्ति,शृंगार और वीर तीनों में बराबर अधिकार से लिखा है? - पद्याकर
7. रीतिकाल के अधिकांश कवियों की भाषा कौन सी थी? -ब्रज
8. ‘रीतिकाव्य की भूमिका’ नामक पुस्तक किसने लिखी ?- डॉ. नगेन्द्र
9. ‘बिहारी सतसई की भूमिका’ के रचनाकार कौन हैं?- पद्यसिंह शर्मा
10. ब्रज भाषा व्याकरण के रचयिता हैं?- मिर्जा खां
11. ‘जहांगीर जस चंद्रिका’ किसकी रचना हैं?- केशवदास
12. ‘कवित्त रत्नाकर’ किसकी रचना है ?- सेनापति
(13) रीति काल की समय सीमा आचार्य शुक्ल के अनुसार है- 1643-1843 ई.।
(14) उत्तर मध्य काल को रीति काल की संज्ञा दी ?- रामचंद्र शुक्ल ।
(15) उत्तर मध्य काल को ‘शृंगार काल’ नाम दिया?- विश्वनाथ प्रसाद मिश्र।
(16) काल क्रमानुसार रीति काल के प्रथम कवि कौन ठहरते है? - केशव दास ।
(17) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किस कवि से रीति काल का आरंभ माना ?- चिंतामणि
(18) ‘शृंगार सागर’ के रचयिता हैं?- मतिराम ।
(19) ‘‘इसमें संदेह नहीं कि काव्य रीति का सम्यक् समावेश पहले पहल आचार्य केशव ने ही किया। पर हिन्दी में रीति ग्रंथों की अविरल और अखण्डित परंपरा का प्रवाह केशव की ‘कवि प्रिया’ के प्राय: पचास वर्ष पीछे चला और वह एक भिन्न आदर्श को लेकर, केशव के आदर्श को लेकर नहीं।’’ पंक्तियाँ किसकी हैं?-
रामचंद्र शुक्ल।
(20) ‘काव्य निर्णय’ के रचयिता हैं?- भिखारी दास।
(21) ‘छंद प्रकाश’ के रचयिता हैं?- भिखारी दास।
(22) ‘छत्र साल दशक’ के रचयिता हैं?- भूषण।
(23) ‘हित तरंगिणी’ के रचयिता हैं?-कृपाराम।
(24) ‘तुलसी गंग दुवौ भए सुकविन के सरदार
इनके काव्यन में मिली भाषा विविध प्रकार।’ उक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?- भिखारी दास ।
(25) ‘‘ आखिन मूंदिबे के मिस आनि अचानक पीठि उरोज लगावै।’’ - ये पंक्तियां किसकी हैं?- मतिराम।
(26) बिहारी के दोहे पर किसका प्रभाव है ? - गाथा सप्तशती।
(27) ‘‘ललित लमाम’’ के रचयिता हैं?- मतिराम।
(28) ‘कवि भूषण’ की उपाधि किस रीतिकालीन कवि को मिली?- भूषण।
(29) केशव को ‘कठिन काव्य का प्रेत’, किस आलोचक ने कहा?- रामचंद ्रशुक्ल ।
(30) रीति की अविरल परंपरा किस कवि से मानी जाती है?- चिंतामणि।
(31) ‘कवि कुल कल्पतरू’ किसकी रचना है ?- चिंतामणि ।
(32) ‘अलंकार पंचाषिका’ किसकी रचना है ?- मतिराम ।
(33) ‘आलम केलि’ किसकी रचना है ?- आलम ।
(34) ‘सुजान विनोद’ किसकी रचना है ?- देव ।
(35) ‘भाषा भूषण’ किसकी रचना है ?- जसवंत सिंह।
(36) ‘जगद्विनोद’ किसकी रचना है ?- पद्माकर।
(37) ‘गंगा लहरी’ किसकी रचना है ?- पद्माकर।
(38) ‘यमुना लहरी’ किसकी रचना है ?- ग्वालकवि।
(39) ‘छत्रसाल दशक’ किसकी रचना है ?- भूषण ।
(40) ‘सुधा निधि’ किसकी रचना है ?- तोष ।
(41) ‘सुजान चरित’ किसकी रचना है ? - सूदन।
(30) ‘कविकुल कंठाभरण’ किसकी रचना है ? - दूलह।
(42) हिन्दी साहित्य का प्रथम काव्य शास्त्रीय ग्रंथ माना जाता है? - कविप्रिया।
(43) ‘विज्ञान गीता’ किसकी रचना है? - केशवदास।
(44) ‘भाव विलास’ किसकी रचना है?- देव ।
(45) ‘लक्षण शृंगार’ किसकी रचना है ?- मतिराम।
(46) ‘वेद में बखानी तीन लोकन को ठुकरानी’ किसकी पंक्ति है ?- सेनापति।
(47) किसको अंलकारवादी आचार्य कहा जाता है ?- केशव दास।
(48) ‘कृपा कांड’ किसकी रचना है?- घनानंद।
(49) ‘काव्य कल्पद्रुम’ किसकी रचना है ?- सेनापति।
(50) ‘इश्क नामा’ किसकी रचना है ?- बोधा।
(51) ‘काव्य निर्णय’ किसकी रचना है ?- भिखारी दास ।
(52) इनमें से रीति शब्द का अर्थ नहीं है- प्रणाली, पद्धति, मार्ग, पन्थ, शैली, रचना।
(53) संस्कृत साहित्य में रीति का अर्थ होता है- ‘विशिष्ट पद रचना’
(54) मुहम्मदशाह को ‘रंगीले’ क्यों कहा जाता है- रसिकता के कारण।
(55) ‘रीति काव्य कविता का एक शुद्ध कला-मार्ग था। संस्कृत के आचार्यों ने काव्यशिल्प और काव्य सौष्ठव के विवेचन के लिए जो सिद्धान्त और लक्षण निश्चित किये थे, उनके आधार पर
लक्षणोंसंहित अथवा लक्षणरहित जो काव्य-रचना की जाती थी’ उसे क्या कहा जात है? - रीतिकाव्य।
(56) ‘जिन ग्रंथों में शास्त्रीय चर्चा भी की बगयी है तथा उसके उदाहरणस्वरूप मुक्त पद्यों की रचना भी अर्थात जो लक्षण-लक्ष्यबद्ध हैं , दूसरे शब्दों में , जिन ग्रंथों में ल्क्षण तथा लक्ष्य दोनों
रूपों को समुचित स्थान मिला है, उन्हों क्या कहेंगे?- रीतिबद्ध।’
(57) केशव की ‘रसिकप्रिया’ और ‘कविप्रिया’ के निर्माण का काल क्या है? सं.1648 और 1658 ।
(58) बुंदेलखंड के चम्पतराय के पुत्र का नाम क्या था? महाराज छत्रसाल
(59) कविवर लाल ने अपने ग्रंथ ‘छत्र-प्रकाश’ में किसकी वीरता और बलिदान का ओजस्वी वर्णन
किया है ? महाराज छत्रसाल
(60) ‘‘शुक्ल जी के अनुसार रीतिकाल के अन्तर्गत सं.1700 से सं.1900 तक पूरी दो शताब्दियाँ आ जाती हैं।’’ क्या यह कथन सत्य है? जी हाँ।
(61) ‘हित तरंगिणी’ (सं.1598),किसकी रचना है? रसनिरूपक आचार्य कृपाराम।
(62) ‘रामभूषण’ और ‘अलंकार-चन्द्रिका’,किसकी रचनाएं हैं? गोपा।
(63) ‘शृंगार सागर’ सं. 1615, मोहनमिश्र का किस प्रकार का ग्रंथ है? नायिकाभेद-विषयक।
(64) चरखारी के मोहनलाल मिश्र ने शृंगार सम्बन्धी कौन सा ग्रंथ लिखा? ‘शृंगार सागर’।
(65) ‘कर्णाभरण’,श्रुतिभूषण’ और ‘भूपभूषण’ ये तीन अलंकार सम्बन्धी ग्रंथ किसके हैं? ‘करनेस’ के
(66) ‘इन्द्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर रावन सदंभ पर रघुकुलराज है।’ किसकी रचना है?-
भूषण।
(68) ‘अरुन गात अतिप्रात पद्यिनी-प्राननाथ भय।’ किसकी रचना है?- केसवदास।
(69) ‘जो न जुगुति पिय मिलन की, धूरि मुकुति मुख दीन।
जो लहिये सँग सजन तौ, धरक नरक हूँ कीन।।’ -किसकी पंक्तियां हैं?- बिहारी ।
(70) देव कहाँ के रहने वाले थे?- इटावा ।
(71) इनका पूरा नाम क्या था? देवदत्त था।
(72) कितनी वर्ष की अवस्था में और कब ‘भाव विलास’ की रचना की?- सोलह वर्ष की अवस्था में सं.1746 में।
(73) देव का जन्म कब माना जाता है?-सं.1730 निश्चित होता है।
(74) इनका अनुमानित मृत्युकाल है?- सं. 1824।
(75) देव ने अपने दो ग्रंथ ‘भाव विलास’ और ‘अष्टयाम’ किस आश्रयदाता को भेंट किये थे? आजमशाह को।
(76) देव ने ‘भवानी विलास’ ग्रंथ की रचना किसके नाम पर की?- चर्खी-ददरी पति राजा सीताराम के भतीजे भवानीदत्त वैश्य के नाम पर।
(77) देव ने ‘कुशलविलास’ की रचना किसके लिए की?- फफँूद रियासत के राजा कुशल सिंह के लिए।
(78) देव ने ‘रस विलास’ की रचना किसके लिए की थी? राजा भोगीलाल, के लिए।
(79) देव ने अपना ग्रंथ ‘प्रेम चन्द्रिका’ किसको समर्तित किया था?- इटावा के समीप ड्योंडिया खेरा के राजा-जमीदार राव मर्दन सिंह के पुत्र उद्योत सिंह।
(80) ‘सुजान विनोद’ की रचना किसके लिए की गयी?- दिल्ली के रईस पातीराम के पुत्र सुजानमणि।
(81) देव ने पिहानी के अधिपति अकबर अली खाँ, को कौन सी रचना समर्पित किया?- ‘सुखसागरतरंग’।
(82) देव के रचनाओं की संख्या कितनी है?- 52 बताई जाती है।
(83) निम्र पंक्तियाँ किसकी हैं?- ‘दधि, घृत, मधु, पायस तजि वायसु चाम चबात’।- देव की।
(84) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘जो ब्रज सों, ब्रज जासों लसै,
तिहुँ काल घड़ी ब्रज-बाल लहावै।’ -देव।
(85) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘खेल में खेलत खेल नये-नये,
‘नाहीं’ में नाह सों नेह जनावै।’- देव।
(86) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘नूपुर-संजुत मंजु मनोहर,
जावत-रंजित कंज-से पाँयनि।’- देव।
(87) किसकी पंक्तियाँ हैं?- चाल मरालन ही सिखयी, नख ते सिख यों मधु की मधुराई।
जानति हौं, ब्रज-भू पर आये सबै सिखि रूप की सम्पति पाई - देव।
(88) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘ बेनी बनाइ कै माँग गुही, तेहि माँह रही लर हीरन की फबि।
सोम के सीस मनो तम-तोमहि मध्य तें चीर कढ़ी रबि की छबि।’।- देव।
(89) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘ मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधा-मय,
राधा मन मोहि-मोहि मोहनमयी भई।’- देव।
(90) ‘‘ हरि के हाथ से माखन-रोटी ले जानेवाले काग के भाग्य की सराहना करने वाले और श्रीकृष्ण की जही को छोहरियों द्वारा छछिया भरि छाछ पर नाच नचाने वाले रसखानि प्रेमो भंग के गायक थे, अत: हिन्दी की स्वच्छन्द काव्य धारा के सबसे प्राचीन कवि ये ही ठहरते हैं।’’ यह कथन किसका है? -आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
(91) ‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ में रसखान का परिचय क्या दिया गया है? दिल्ली के बादशाही खानदान पठान।
(92) रसखान के दीक्षा गुरु कौन थे?- गोसाई विट्ठलनाथ ।
(93) गोसाई विट्ठलनाथ ने गोविन्द कुण्ड पर रसखान को किस सम्प्रदाय में दीक्षित किया?- वल्लभ सम्प्रदाय में ।
(94) मुसलमान होकर भी रसखान कंठी-माला क्यों धारण करते थे?- वैष्णव प्रभाव के कारण।
(95) गुसाई विट्ठलनाथ जी का स्वर्गवास कब हुआ?- सं.1642 में हुआ।
(96) रसखान का आनुमानिक जन्म.तथा मृत्यु मानी जाती है?- जन्म सं.1615 और मृत्यु सं.1685 है।
(97) रसखान के माता-पिता कौन थे?- यह पता नहीं है।
(98) रसखानि रीतिकाल के किस धारा के कवि थे?- रीतिमुक्त धारा के।
(99) रसखान की कितनी रचनाएँ हैं?- केवल दो छोठी रचनाएँ-‘प्रेम-वाटिका’ और ‘सुजान रसखानि’।
(100) ‘प्रेम-वाटिका’ कब रची गई?- सं.1671
(101) ‘प्रेम-वाटिका’ में कितने दोहे हैं?- केवल 52 दोहे हैं।
(102) ‘सुजान रसखानि’ में कितने दोहे हैं?-120 छन्द हैं।
(103) ‘सुजान रसखानि’ में कितने दोहे हैं- 10 दोहे-सोरठे और शेष सवैया और कवित्त हैं।
(104) रसखान की रचनाओं में सामान्यत: कौन से रस पाए जाते हैं?-
भक्त्ति, शंृगार एवं वात्सल्य रस पाये जाते है।
(105) बिनु गुन जोबन रूप धन, बिनु स्वारथ हित जानि।
शुद्ध, कामना ते रहित, प्रेम सकल रसखानि।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(106) दंपति सुख अरु विषय रस, पूजा निष्ठा, ध्यान।
इनतें परे, बखानिए, शुद्ध प्रेम रसखान।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(107) प्रेम हरी को रूप है, त्यों हरि प्रेम सरूप।
एक होई द्वै यों लसै, ज्यों सूरज अरु धूप।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(108) ज्ञान, ध्यान, विद्या, मती, मत, विश्वास विवेक।
बिना प्रेम सब धूर हैं, अग-जग एक अनेक।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(109) हरि के सब आधीन, पै हरी प्रेम आधीन।
याही तें हरि आपुहीं, याहि बड़प्पन दीन।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(110) ‘‘ हिन्दी के शृंगारी कवियों में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त करने वाले कवि बिहारी हैं।’’ किसका कथन है?- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
(111) बिहारी के प्रसिद्धि का एक मात्र कारण क्या है?- इनकी रचना ‘सतसई’ है।
(112) ‘‘किसी कवि का यश उसकी रचनाओं के परिमाण के हिसाब से नहीं होता, गुण के हिसाब से होता है।’’ किसका कथन है?- बिहारी का।
(113) ‘‘सतसैया के दोहरे ज्यौ नाविक के तीर,देखन में छोटे लगें, घाव करैं गंभीर।।’’ किसके सम्बन्ध में यह प्रसिद्ध है?- ‘बिहारी सतसई’ के सम्बन्ध में
(114) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने बिहारी का जन्म कब माना?- सं.1660।
(115) बिहारी सतसई का रचना काल कब माना जाता है?- सं.1719।
(116) बिहारी का जन्म कहाँ हुआ ?- मध्यप्रदेश के ग्वालियर में।
(117) बिहारी का अधिकतम जीवन कहाँ बीता?- मथुरा, आगरा, बुंन्देल खण्ड तथा जयपुर में ।
(118) बिहारी का आचार्य केशवदास से सम्बन्ध किस उम्र में हो गया था?- लगभग आठ वर्ष की उम्र में।
(119) बिहारी ने संस्कृत किससे सीखी थी?- नरहरि दास से।
(120) बिहारी को अपने साथ ले जाने की आज्ञा शाहजहां ने किससे प्राप्त की थी?- इन्हीं नरहरिदास से ।
(121) शाहजहां के दरबार में बिहारी का सम्पर्क किस विद्वान से हुआ?- आचार्य पंडितराज जगन्नाथ।
(122) अब्दुर्रहीम खानखना से बिहारी का सम्बन्ध कहा हुआ?- शाहजहां के यहाँ ही।
(123) बिहारी महाराजा मिर्जा राजा जय सिंह के पास जयपुर कब पहुँचे?- सं.1692 वि. में।
(124) ‘नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
अली कली ही साके बंध्यो, आगे कौन हवाल।।’ यह पंक्तियाँ किसकी हैं और किसके लिए लिखी गईं? -बिहारी की,मिर्जा राजा जय सिंह के लिए।
(125) ‘स्वारथ सुकृत न श्रम बृथा देखि बिहंग बिचारि।
बाज पराये पानि पर तू पच्छीन न मारि।।’ किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(126) बिहारी रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं?- ‘रीतिसिद्ध’।
(127) ‘‘ बिहारी अपने पूर्ववर्ती संस्कृत के शृंगारी मुक्तक कवियों की परंपरा में आते हैं। ‘बिहारी’ हिन्दी के शृंगार मुक्तक कवि-माला के तो ‘सुमेरु’ हैं। यह कथन किसका है?- आचार्य पद्य सिंह शर्मा का।
(128) ‘मेरी भवबाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।’ किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(129) तजि तीरथ हरि-राधिका-तनु -दुति करि अनुराग।
जिहि ब्रज केलि निकुंज मग पग-पग होत प्रयाग।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(130) सीस मुकुट,कटि काछनी, कर मुरली, उर माल।
यहि बानिक मो मन बसो सदा बिहारीलाल।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(131) या अनुरागी चित्त की , गति समुझै नहि कोंय।
ज्यों ज्यों बूडै़ श्याम रंग, त्यौं त्यौं उज्ज्वल होय।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(132) करौ कुबत जग, कुटिलता, तजौं न दीनदयाल।
दुखी होहुगे सरल चित, बसत त्रिभंगी लाल। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(133) मोहनि मूरति स्याम की अति अद्भुत गति जोय।
बसति सुचित अन्तर तऊ प्रतिबिम्बित जग होय।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(134) दीरघ साँस न लेहि दुख, सुख साईं नहिं भूलि।
दई दई क्यों करत है, दई दई सु कबूल।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(135) चिरजीवो जोरी जुरै क्यों न सनेह गम्भीर।
को घटि, ये बृषभानुजा, वे हलधर के वीर।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(136) अजौं तर्यौना ही रह्यौ, श्रुति सेवक इक अंग।
नाक बास बेसर लह्यो, बसि मुकुतन के संग।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(137) ‘शृंगार सागर’ किसकी रचना है?- चरखारी के मोहनलाल मिश्र की।
(138) ‘कर्णाभरण’, श्रुतिभूषण’ और ‘भूपभूषण’ नामक तीन अलंकार सम्बन्धी ग्रंथ किसने लिखे हैं?- नरहरि कवि के साथी ‘करनेस’ कवि ने।
(139) ‘‘रसनिरूपण और अलंकार निरूपण का इस प्रकार सूत्रपात हो जाने पर केशवदास जी ने काव्य के सब अंगों का निरूपण शास्त्रीय पद्धति पर किया। इसमें संदेह नहीं कि काव्यरीति का सम्यक समावेश पहले पहल आचार्य केशव ने ही किया। पर हिन्दी में रीतिग्रंथों की अविरल और अखंडित परम्परा का प्रवाह केशव की ‘कविप्रिया’ के प्राय: पचास वर्ष पीछे चला और वह भी एक भिन्न आदर्श को लेकर, केशव के आदर्श को लेकर नहीं।’’ किसका कथन है?- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का।
(140) ‘‘हिन्दी में रीति-काव्य प्राय: उपेक्षा का ही भागी रहा है।’’ किसका कथन है?- आचार्य नगेन्द्र का।
(141) ‘‘ द्विवेदी-युग के आलोचकों ने इस कविता को नीतिभ्रष्ट कहकर तिरस्कृत किया, छायावाद के प्रतिनिधि कवि-लेखक इसकों अति-ऐन्द्रिय और स्थूल कहकर हेय समझते रहे और आज का प्रगतिशील समीक्षक इसको सामन्तवद की अभिव्यक्ति मानकर प्रतिक्रियावादी कविता कहता है। ’’ किसका कथन है?- आचार्य नगेन्द्र का।
(142) शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र का नाम क्या था?-दाराशिकोह।
(143) ‘मारि तुरक कौ मुुँह मुरकायौ। रन में विजै बुँदेला पायौ।’ किसकी पंक्तियाँ है?- कविवर लाल के ग्रंथ ‘छत्र-प्रकाश’ की।
(144) नादिर शाह का आक्रमण कब हुआ?- 1738 ई. में।
(145) अहमदशाह अब्दाली ने दिल्ली पर आक्रमण कब किया?- 1761 ई.।
(146) ‘‘शाहजहां के समय में हिन्दुस्तान का समाज सामन्तीय आधार पर स्थित था। सम्राट इस सामाजिक व्यवस्था का केन्द्र था, उसके अधीन मनसबदार या अमीर थे जो ऊँचे-ऊँचे ओहदों पर थे। इनके बाद साधारण कर्मचारियों का वर्ग था, जो राज्य के छोटे-छोटे विभागों में काम करते थे। उस समय का मध्यवर्ग अधिकतर इन्हीं लोगों से निर्मित था। इनके अतिरिक्त, व्यापारी, साहूकार, दुकानदार आदि भी थे, परन्तु ये लोग आर्थिक दृष्टि से मध्यवर्ग की स्थिति में होते हुए भी शिक्षा, संस्कृति से हीन थे निम्न वर्ग में नौकरी-पेशालोगों और मजदूरों के अतिरिक्त भारत का बृह्त कृषक-समुदाय भी था, जो सोना पैदा करके मिट्टी पर गुजर कर रहा था।’’ किसका कथन है- डॉ.ईश्वरी प्रसाद का
(147) ‘व्याकरण के आधार पर गत्यर्थक ‘रीड़्’ धातु से ‘क्चित’ प्रत्यय करके इसकी जा व्युत्पति कही जाती है, उससे यह ‘मार्ग’ का वाचक ठहरता है।’ क्या यह कथन सत्य है?- जी हाँ।
(148) ‘‘बात यह है कि व्यक्ति का अथवा वर्ग विशेष का अपने भावों की अभिव्यक्ति, व्यपारगत अनुकरण और अनुसरण का एक लक्ष्य हो जाता है, तो उनकी विधात्री पद्यति विशेष शब्द ‘मार्ग’ संज्ञा द्वारा स्वीकृत मानी जाती है।’’ किसका कथन है?- दंडी का।
(149) ‘रीति सुभाषा कवित की बरनत बुध अनुसार’ किसकी पंक्ति हैं? - चिंतामणि- कविकुल कल्पतरु- से।
(150) ‘‘आगे के कवि रीझिहैं, तौ कबिताई, न तौ । राधिका कन्हाई सुमिरन कौ बहानौं है।। किसका कथन है?-भिखारी दास।
(151) ‘‘भाषा भूषण ग्रंथ को, जो देखै चित लाय। विविध अर्थ साहित्य रस, ताहि सकल दरसाय’’।। किसका कथन है?- जसवंत सिंह
(152) ‘धुनि अवरेब कबित गुन जाती, मान मनोहर ते बहु भांती’।। किसका कथन है?- तुलसीदास।
(153) सम्राट अकबर दिल्ली के राज्य सिंहासन पर कब बैठा?- सन् 1556 में।
(154) ‘संतन को कहाँ सीकरी सो काम।आवत जात पनहियां टूटी, बिसर गयो हरि नाम।। - किसका कथन है?- कुंभनदास।
(155) ‘देव सबै सुख दायक संपति, संपति-दंपति, दंपति-जोरी।’ किसकी पंक्ति है?- देवद
(156) ‘रीति’ का समर्थन करते हुए अलंकार और रस को गौण स्थान किसने दिया?- वामन ने।
(157) उद्भट किस वाद के समर्थक थे?- अलंकारवाद के।
(158) ध्वनि-सिद्धांत का प्रतिष्ठापन किसने किया?- आनंदवद्र्धन ने
(159) मम्मट किस शताब्दी के थे?- ग्यारहवी शती।
(160) जयदेव किस शताब्दी के थे?- तेरहवीं शताब्दी में।
(161) ‘गीत-गोविन्द’ किसकी रचना है?- जयदेव।
(162) विश्वनाथ किस शताब्दी के थे?- चौदहवीं शती।
(163) ‘‘संस्कृत का अन्तिम प्रकाण्ड आचार्य जगन्नाथ और हिन्दी का प्रथम प्रतिनिधि आचार्य चिंतामणि ये दोनों समकालीन थे। जगन्नाथ शाहजहां का सभा-पण्डित था और चिंतामणि को शाहजहां द्वारा पुरस्कृत किया जाना इतिहासोल्लिखित घटना है।’’- सत्य है या असत्य।
(164) ‘‘हिन्दी में लक्षण ग्रंथ की परिपाटी पर रचना करने वाले जो सैकड़ों कवि हुए हैं वे आचार्य की कोटि में नही आ सकते। वे वास्तव में कवि ही थे। उनमें आचार्य के गुण नहीं थे। उनके अपर्याप्त लक्षण साहित्य शास्त्र का सम्यक् बोध कराने में असमर्थ है। बहुत स्थलों पर तो उनके द्वारा अलंकार आदि के स्वरूप का भी ठीक-ठीक बोध नहीं हो सकता। कहीं-कहीं तो उदाहरण भी ठीक नहीं हैं। ‘शब्द शक्ति’ का विषय तो दो ही चार कवियों ने नाममात्र के लिए लिया है, जिससे उस विषय का बोध होना तो दूर रहा, कहीं-कहीं भ्रांत धारणा अवश्य उत्पन्न हो सकती है। काव्य के साधारणत: दो भेद किए जाते हैं-श्रव्य और दृष्य। इनमें से दृष्य काव्य का निरूपण तो छोड़ ही दिया गया है। सारांश यह कि इन रीतियों पर ही निर्भर रहने वाले व्यक्ति का साहित्य ज्ञान कच्चा ही समझा जाना चाहिए। यह सब लिखने का अभिप्राय यहाँ केवल इतना ही है कि यह न समझा जाय की रीतिकाल के भीतर साहित्य शास्त्र पर गंभीर और विस्तृत विवेचन तथा नयी-नयी बातों की उद्भावना होती रही।’’ यह किसका कथन है?- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
क्या यह सत्य है कि पद्माकर ने नव रसों का सफल निरूपण किया है?- जी हाँ।
(165) पद्माकर का जन्म कहाँ हुआ?- मध्यप्रदेश के सागर जिले में।
(166) तेलंग ब्राह्मण पद्माकर का जन्म कब हुआ?- सं.1753 में।
(167) पद्माकर के पिता का नाम क्या था?- मोहनलाल भट्ट।
(168) पद्माकर की मृत्यु कब हुई?- 1833 ई. में कानपुर में।
(169) पद्माकर प्रमुख कृतियाँ हैं- ‘हिम्मतबहादुर-विरुदावली’, ‘पद्माभरण’, ‘जगद्विनोद’, ‘प्रबोध पचासा’, ‘गंगा लहरी’, ‘प्रताप सिंह-विरुदावली’ और ‘कलिपच्चीसी’ हैं।
(170) ‘पद्माभरण’ और ‘जगद्विनोद’ पद्माकर के मौलिक रीतिग्रंथ हैं। सत्य है।
जिन्होंने न तो लक्षण ग्रंथ लिखे और न रीति का अनुसरण किया वे कौन प्रकार के कवि हैं? -रीतिमुक्त।
(171) आचार्य रामचंद्र शुुक्ल ने अपने ‘हिन्दी साहित्य के इतिहास’ में सेनापति को किस प्रकार का कवि माना है?- फुटकल भक्त कवि।
(172) सेनापति के किस ग्रंथ में नायिका भेद, विरह-वर्णन के प्रसंग, षट्ऋतु वर्णन तथा चमत्कार-चारुत्व देखने को मिलता है?- ‘कवित रत्नाकर’ में।
(173) सेनापति ने ‘कवित्त रत्नाकर’ की रचना कब की?- सं. 1706।
(174) सेनापति के गुरु का नाम क्या था?- हीरा मणि दीक्षित।
(175) सेनापति के पितामह का नाम क्या था?- परशुराम दीक्षित।
(176) सेनापति के पिता का नाम क्या था?- गंगाधर दीक्षित।
(177) सेनापति का जन्म कब हुआ?- संवत् 1646 वि. के आसपास।
(178) भूषण का जन्म कहाँ हुआ?-कानपुर के समीपवर्ती तिकवांपुर नामक स्थान में।
(179) भूषण के पिता का नाम क्या था?- रत्नाकर त्रिपाठी।
(180) भूषण का जन्मकाल क्या है?- संवत् 1670।
(181) भूषण को ‘भूषण’ की उपाधि किसने दी?- चित्रकूट के राजा रुद्रशाह सोलंकी ने।
(182) भूषण की मृत्यु कब मानी जाती है?- संवत् 1772 ।
(183) केशवदास का जन्मकाल कब माना जाता है?- सं.1612।
(184) केशव की मृत्यु कब मानी जाती है?- संवत् 1674।
(185) केशवदास के पिता का नाम क्या था ?-काशीनाथ।
(186) केशव के पितामह का नाम क्या था?- कृष्णदत्त।
(187) केशवदास द्वारा लिखित कितने ग्रंथ विद्वानों के बीच प्रचलित थे?- दस ग्रंथ निम्रानुसार हैं- 1. रामचन्द्रिका (सं.1658), 2. कविप्रिया (सं.1658), 3. रसिकप्रिया (सं.1648), 4. रतनबावनी (सं.1638), 5.वीरसिंहदेव-चरित (सं.1664), 6. जहाँगीर-जस-चन्द्रिका (सं.1669), 7. विज्ञान-गीता (सं.1667), 8. बारहमासा (सं.1657),। इधर उनके दो और ग्रंथ उपलब्ध हुए हैं- 9. शिखनख (सं.1657), और 10. छंदमाल (सं.1659),।
(188) ‘केशव-ग्रंथवाली’ का प्रकाशन किसने किया?- हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद ने।
(189) ‘‘हमारी दृढ़ भावना है कि केशव ने हिन्दी को ‘महान गौरव’ प्रदान किया है। जिस प्रकार तुलसी अपनी सरलता और सूर अपनी गम्भीरता के हेतु सराहनीय है, वैसे ही वरन् उनसे भी बढक़र केशव अपनी भाषा की परिपुष्टता के लिए प्रशंसनीय हैं।’’ - किसका कथन हैं?- डॉ. श्यामसुन्दर दास ।
(190) रामचन्द्रिका के प्रमुख संवाद कौन-कौन से हैं?- 1. सुमति-विमति संवाद, 2. रावण-जाणासुन संवाद, 3. राम-परशुराम संवाद, 4. राम-जानकी-संवाद, 5. राम-लक्ष्मण संवाद, 6. सूर्पणखा संवाद, 7. सीता-रावण-संवाद, 8. सीता-हनुमान-संवाद, 9. रावण-अंगद-संवाद, 10. लव-कुश संवाद।
(191) रीतिमुक्त स्वच्छन्द धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि कौन थे?- घनानन्द।
(192) घनानन्द का जन्म कहाँ हुआ?- बुलन्दशहर में।
(193) घनानन्द का जन्म कब हुआ?- सं. 1746
(194) दिल्ली के किस बादशाह के यहाँ घनानन्द मीरमुशी थे?- मुहम्मदशाह रंगीले के
1. ‘‘बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय
सौंह करे भौंहन हंसे दैन कहै नट जाय।’’ -किसकी पंक्तियां हैं?-बिहारी
2. ‘‘तेरे नैन मेरे मन के खिलौना’’-किसकी पंक्तियां हैं?- सेनापति
3. ‘‘कुंदन को रंग फीको लगै झलकै अति अंगन चारू गोरई’’-किसकी पंक्तियाँ हैं?- मतिराम
4. ‘‘अमिय हलाहल मदभरे, स्वेत, स्याम, रतनार
जियत मरत झुकिझुकि परत जेहिं चितवत एक बार।। -किसकी पंक्तियाँ हैं? - रसलीन
5. ऋतुवर्णन के लिए रीतिकाल में कौन से कवि प्रसिद्ध हैं- सेनापति
6. रीतिकाल के किस कवि ने भक्ति,शृंगार और वीर तीनों में बराबर अधिकार से लिखा है? - पद्याकर
7. रीतिकाल के अधिकांश कवियों की भाषा कौन सी थी? -ब्रज
8. ‘रीतिकाव्य की भूमिका’ नामक पुस्तक किसने लिखी ?- डॉ. नगेन्द्र
9. ‘बिहारी सतसई की भूमिका’ के रचनाकार कौन हैं?- पद्यसिंह शर्मा
10. ब्रज भाषा व्याकरण के रचयिता हैं?- मिर्जा खां
11. ‘जहांगीर जस चंद्रिका’ किसकी रचना हैं?- केशवदास
12. ‘कवित्त रत्नाकर’ किसकी रचना है ?- सेनापति
(13) रीति काल की समय सीमा आचार्य शुक्ल के अनुसार है- 1643-1843 ई.।
(14) उत्तर मध्य काल को रीति काल की संज्ञा दी ?- रामचंद्र शुक्ल ।
(15) उत्तर मध्य काल को ‘शृंगार काल’ नाम दिया?- विश्वनाथ प्रसाद मिश्र।
(16) काल क्रमानुसार रीति काल के प्रथम कवि कौन ठहरते है? - केशव दास ।
(17) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किस कवि से रीति काल का आरंभ माना ?- चिंतामणि
(18) ‘शृंगार सागर’ के रचयिता हैं?- मतिराम ।
(19) ‘‘इसमें संदेह नहीं कि काव्य रीति का सम्यक् समावेश पहले पहल आचार्य केशव ने ही किया। पर हिन्दी में रीति ग्रंथों की अविरल और अखण्डित परंपरा का प्रवाह केशव की ‘कवि प्रिया’ के प्राय: पचास वर्ष पीछे चला और वह एक भिन्न आदर्श को लेकर, केशव के आदर्श को लेकर नहीं।’’ पंक्तियाँ किसकी हैं?-
रामचंद्र शुक्ल।
(20) ‘काव्य निर्णय’ के रचयिता हैं?- भिखारी दास।
(21) ‘छंद प्रकाश’ के रचयिता हैं?- भिखारी दास।
(22) ‘छत्र साल दशक’ के रचयिता हैं?- भूषण।
(23) ‘हित तरंगिणी’ के रचयिता हैं?-कृपाराम।
(24) ‘तुलसी गंग दुवौ भए सुकविन के सरदार
इनके काव्यन में मिली भाषा विविध प्रकार।’ उक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?- भिखारी दास ।
(25) ‘‘ आखिन मूंदिबे के मिस आनि अचानक पीठि उरोज लगावै।’’ - ये पंक्तियां किसकी हैं?- मतिराम।
(26) बिहारी के दोहे पर किसका प्रभाव है ? - गाथा सप्तशती।
(27) ‘‘ललित लमाम’’ के रचयिता हैं?- मतिराम।
(28) ‘कवि भूषण’ की उपाधि किस रीतिकालीन कवि को मिली?- भूषण।
(29) केशव को ‘कठिन काव्य का प्रेत’, किस आलोचक ने कहा?- रामचंद ्रशुक्ल ।
(30) रीति की अविरल परंपरा किस कवि से मानी जाती है?- चिंतामणि।
(31) ‘कवि कुल कल्पतरू’ किसकी रचना है ?- चिंतामणि ।
(32) ‘अलंकार पंचाषिका’ किसकी रचना है ?- मतिराम ।
(33) ‘आलम केलि’ किसकी रचना है ?- आलम ।
(34) ‘सुजान विनोद’ किसकी रचना है ?- देव ।
(35) ‘भाषा भूषण’ किसकी रचना है ?- जसवंत सिंह।
(36) ‘जगद्विनोद’ किसकी रचना है ?- पद्माकर।
(37) ‘गंगा लहरी’ किसकी रचना है ?- पद्माकर।
(38) ‘यमुना लहरी’ किसकी रचना है ?- ग्वालकवि।
(39) ‘छत्रसाल दशक’ किसकी रचना है ?- भूषण ।
(40) ‘सुधा निधि’ किसकी रचना है ?- तोष ।
(41) ‘सुजान चरित’ किसकी रचना है ? - सूदन।
(30) ‘कविकुल कंठाभरण’ किसकी रचना है ? - दूलह।
(42) हिन्दी साहित्य का प्रथम काव्य शास्त्रीय ग्रंथ माना जाता है? - कविप्रिया।
(43) ‘विज्ञान गीता’ किसकी रचना है? - केशवदास।
(44) ‘भाव विलास’ किसकी रचना है?- देव ।
(45) ‘लक्षण शृंगार’ किसकी रचना है ?- मतिराम।
(46) ‘वेद में बखानी तीन लोकन को ठुकरानी’ किसकी पंक्ति है ?- सेनापति।
(47) किसको अंलकारवादी आचार्य कहा जाता है ?- केशव दास।
(48) ‘कृपा कांड’ किसकी रचना है?- घनानंद।
(49) ‘काव्य कल्पद्रुम’ किसकी रचना है ?- सेनापति।
(50) ‘इश्क नामा’ किसकी रचना है ?- बोधा।
(51) ‘काव्य निर्णय’ किसकी रचना है ?- भिखारी दास ।
(52) इनमें से रीति शब्द का अर्थ नहीं है- प्रणाली, पद्धति, मार्ग, पन्थ, शैली, रचना।
(53) संस्कृत साहित्य में रीति का अर्थ होता है- ‘विशिष्ट पद रचना’
(54) मुहम्मदशाह को ‘रंगीले’ क्यों कहा जाता है- रसिकता के कारण।
(55) ‘रीति काव्य कविता का एक शुद्ध कला-मार्ग था। संस्कृत के आचार्यों ने काव्यशिल्प और काव्य सौष्ठव के विवेचन के लिए जो सिद्धान्त और लक्षण निश्चित किये थे, उनके आधार पर
लक्षणोंसंहित अथवा लक्षणरहित जो काव्य-रचना की जाती थी’ उसे क्या कहा जात है? - रीतिकाव्य।
(56) ‘जिन ग्रंथों में शास्त्रीय चर्चा भी की बगयी है तथा उसके उदाहरणस्वरूप मुक्त पद्यों की रचना भी अर्थात जो लक्षण-लक्ष्यबद्ध हैं , दूसरे शब्दों में , जिन ग्रंथों में ल्क्षण तथा लक्ष्य दोनों
रूपों को समुचित स्थान मिला है, उन्हों क्या कहेंगे?- रीतिबद्ध।’
(57) केशव की ‘रसिकप्रिया’ और ‘कविप्रिया’ के निर्माण का काल क्या है? सं.1648 और 1658 ।
(58) बुंदेलखंड के चम्पतराय के पुत्र का नाम क्या था? महाराज छत्रसाल
(59) कविवर लाल ने अपने ग्रंथ ‘छत्र-प्रकाश’ में किसकी वीरता और बलिदान का ओजस्वी वर्णन
किया है ? महाराज छत्रसाल
(60) ‘‘शुक्ल जी के अनुसार रीतिकाल के अन्तर्गत सं.1700 से सं.1900 तक पूरी दो शताब्दियाँ आ जाती हैं।’’ क्या यह कथन सत्य है? जी हाँ।
(61) ‘हित तरंगिणी’ (सं.1598),किसकी रचना है? रसनिरूपक आचार्य कृपाराम।
(62) ‘रामभूषण’ और ‘अलंकार-चन्द्रिका’,किसकी रचनाएं हैं? गोपा।
(63) ‘शृंगार सागर’ सं. 1615, मोहनमिश्र का किस प्रकार का ग्रंथ है? नायिकाभेद-विषयक।
(64) चरखारी के मोहनलाल मिश्र ने शृंगार सम्बन्धी कौन सा ग्रंथ लिखा? ‘शृंगार सागर’।
(65) ‘कर्णाभरण’,श्रुतिभूषण’ और ‘भूपभूषण’ ये तीन अलंकार सम्बन्धी ग्रंथ किसके हैं? ‘करनेस’ के
(66) ‘इन्द्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर रावन सदंभ पर रघुकुलराज है।’ किसकी रचना है?-
भूषण।
(68) ‘अरुन गात अतिप्रात पद्यिनी-प्राननाथ भय।’ किसकी रचना है?- केसवदास।
(69) ‘जो न जुगुति पिय मिलन की, धूरि मुकुति मुख दीन।
जो लहिये सँग सजन तौ, धरक नरक हूँ कीन।।’ -किसकी पंक्तियां हैं?- बिहारी ।
(70) देव कहाँ के रहने वाले थे?- इटावा ।
(71) इनका पूरा नाम क्या था? देवदत्त था।
(72) कितनी वर्ष की अवस्था में और कब ‘भाव विलास’ की रचना की?- सोलह वर्ष की अवस्था में सं.1746 में।
(73) देव का जन्म कब माना जाता है?-सं.1730 निश्चित होता है।
(74) इनका अनुमानित मृत्युकाल है?- सं. 1824।
(75) देव ने अपने दो ग्रंथ ‘भाव विलास’ और ‘अष्टयाम’ किस आश्रयदाता को भेंट किये थे? आजमशाह को।
(76) देव ने ‘भवानी विलास’ ग्रंथ की रचना किसके नाम पर की?- चर्खी-ददरी पति राजा सीताराम के भतीजे भवानीदत्त वैश्य के नाम पर।
(77) देव ने ‘कुशलविलास’ की रचना किसके लिए की?- फफँूद रियासत के राजा कुशल सिंह के लिए।
(78) देव ने ‘रस विलास’ की रचना किसके लिए की थी? राजा भोगीलाल, के लिए।
(79) देव ने अपना ग्रंथ ‘प्रेम चन्द्रिका’ किसको समर्तित किया था?- इटावा के समीप ड्योंडिया खेरा के राजा-जमीदार राव मर्दन सिंह के पुत्र उद्योत सिंह।
(80) ‘सुजान विनोद’ की रचना किसके लिए की गयी?- दिल्ली के रईस पातीराम के पुत्र सुजानमणि।
(81) देव ने पिहानी के अधिपति अकबर अली खाँ, को कौन सी रचना समर्पित किया?- ‘सुखसागरतरंग’।
(82) देव के रचनाओं की संख्या कितनी है?- 52 बताई जाती है।
(83) निम्र पंक्तियाँ किसकी हैं?- ‘दधि, घृत, मधु, पायस तजि वायसु चाम चबात’।- देव की।
(84) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘जो ब्रज सों, ब्रज जासों लसै,
तिहुँ काल घड़ी ब्रज-बाल लहावै।’ -देव।
(85) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘खेल में खेलत खेल नये-नये,
‘नाहीं’ में नाह सों नेह जनावै।’- देव।
(86) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘नूपुर-संजुत मंजु मनोहर,
जावत-रंजित कंज-से पाँयनि।’- देव।
(87) किसकी पंक्तियाँ हैं?- चाल मरालन ही सिखयी, नख ते सिख यों मधु की मधुराई।
जानति हौं, ब्रज-भू पर आये सबै सिखि रूप की सम्पति पाई - देव।
(88) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘ बेनी बनाइ कै माँग गुही, तेहि माँह रही लर हीरन की फबि।
सोम के सीस मनो तम-तोमहि मध्य तें चीर कढ़ी रबि की छबि।’।- देव।
(89) किसकी पंक्तियाँ हैं?- ‘ मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधा-मय,
राधा मन मोहि-मोहि मोहनमयी भई।’- देव।
(90) ‘‘ हरि के हाथ से माखन-रोटी ले जानेवाले काग के भाग्य की सराहना करने वाले और श्रीकृष्ण की जही को छोहरियों द्वारा छछिया भरि छाछ पर नाच नचाने वाले रसखानि प्रेमो भंग के गायक थे, अत: हिन्दी की स्वच्छन्द काव्य धारा के सबसे प्राचीन कवि ये ही ठहरते हैं।’’ यह कथन किसका है? -आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
(91) ‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ में रसखान का परिचय क्या दिया गया है? दिल्ली के बादशाही खानदान पठान।
(92) रसखान के दीक्षा गुरु कौन थे?- गोसाई विट्ठलनाथ ।
(93) गोसाई विट्ठलनाथ ने गोविन्द कुण्ड पर रसखान को किस सम्प्रदाय में दीक्षित किया?- वल्लभ सम्प्रदाय में ।
(94) मुसलमान होकर भी रसखान कंठी-माला क्यों धारण करते थे?- वैष्णव प्रभाव के कारण।
(95) गुसाई विट्ठलनाथ जी का स्वर्गवास कब हुआ?- सं.1642 में हुआ।
(96) रसखान का आनुमानिक जन्म.तथा मृत्यु मानी जाती है?- जन्म सं.1615 और मृत्यु सं.1685 है।
(97) रसखान के माता-पिता कौन थे?- यह पता नहीं है।
(98) रसखानि रीतिकाल के किस धारा के कवि थे?- रीतिमुक्त धारा के।
(99) रसखान की कितनी रचनाएँ हैं?- केवल दो छोठी रचनाएँ-‘प्रेम-वाटिका’ और ‘सुजान रसखानि’।
(100) ‘प्रेम-वाटिका’ कब रची गई?- सं.1671
(101) ‘प्रेम-वाटिका’ में कितने दोहे हैं?- केवल 52 दोहे हैं।
(102) ‘सुजान रसखानि’ में कितने दोहे हैं?-120 छन्द हैं।
(103) ‘सुजान रसखानि’ में कितने दोहे हैं- 10 दोहे-सोरठे और शेष सवैया और कवित्त हैं।
(104) रसखान की रचनाओं में सामान्यत: कौन से रस पाए जाते हैं?-
भक्त्ति, शंृगार एवं वात्सल्य रस पाये जाते है।
(105) बिनु गुन जोबन रूप धन, बिनु स्वारथ हित जानि।
शुद्ध, कामना ते रहित, प्रेम सकल रसखानि।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(106) दंपति सुख अरु विषय रस, पूजा निष्ठा, ध्यान।
इनतें परे, बखानिए, शुद्ध प्रेम रसखान।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(107) प्रेम हरी को रूप है, त्यों हरि प्रेम सरूप।
एक होई द्वै यों लसै, ज्यों सूरज अरु धूप।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(108) ज्ञान, ध्यान, विद्या, मती, मत, विश्वास विवेक।
बिना प्रेम सब धूर हैं, अग-जग एक अनेक।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(109) हरि के सब आधीन, पै हरी प्रेम आधीन।
याही तें हरि आपुहीं, याहि बड़प्पन दीन।।-किसकी पंक्तियां हैं?- रसखान ।
(110) ‘‘ हिन्दी के शृंगारी कवियों में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त करने वाले कवि बिहारी हैं।’’ किसका कथन है?- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
(111) बिहारी के प्रसिद्धि का एक मात्र कारण क्या है?- इनकी रचना ‘सतसई’ है।
(112) ‘‘किसी कवि का यश उसकी रचनाओं के परिमाण के हिसाब से नहीं होता, गुण के हिसाब से होता है।’’ किसका कथन है?- बिहारी का।
(113) ‘‘सतसैया के दोहरे ज्यौ नाविक के तीर,देखन में छोटे लगें, घाव करैं गंभीर।।’’ किसके सम्बन्ध में यह प्रसिद्ध है?- ‘बिहारी सतसई’ के सम्बन्ध में
(114) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने बिहारी का जन्म कब माना?- सं.1660।
(115) बिहारी सतसई का रचना काल कब माना जाता है?- सं.1719।
(116) बिहारी का जन्म कहाँ हुआ ?- मध्यप्रदेश के ग्वालियर में।
(117) बिहारी का अधिकतम जीवन कहाँ बीता?- मथुरा, आगरा, बुंन्देल खण्ड तथा जयपुर में ।
(118) बिहारी का आचार्य केशवदास से सम्बन्ध किस उम्र में हो गया था?- लगभग आठ वर्ष की उम्र में।
(119) बिहारी ने संस्कृत किससे सीखी थी?- नरहरि दास से।
(120) बिहारी को अपने साथ ले जाने की आज्ञा शाहजहां ने किससे प्राप्त की थी?- इन्हीं नरहरिदास से ।
(121) शाहजहां के दरबार में बिहारी का सम्पर्क किस विद्वान से हुआ?- आचार्य पंडितराज जगन्नाथ।
(122) अब्दुर्रहीम खानखना से बिहारी का सम्बन्ध कहा हुआ?- शाहजहां के यहाँ ही।
(123) बिहारी महाराजा मिर्जा राजा जय सिंह के पास जयपुर कब पहुँचे?- सं.1692 वि. में।
(124) ‘नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
अली कली ही साके बंध्यो, आगे कौन हवाल।।’ यह पंक्तियाँ किसकी हैं और किसके लिए लिखी गईं? -बिहारी की,मिर्जा राजा जय सिंह के लिए।
(125) ‘स्वारथ सुकृत न श्रम बृथा देखि बिहंग बिचारि।
बाज पराये पानि पर तू पच्छीन न मारि।।’ किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(126) बिहारी रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं?- ‘रीतिसिद्ध’।
(127) ‘‘ बिहारी अपने पूर्ववर्ती संस्कृत के शृंगारी मुक्तक कवियों की परंपरा में आते हैं। ‘बिहारी’ हिन्दी के शृंगार मुक्तक कवि-माला के तो ‘सुमेरु’ हैं। यह कथन किसका है?- आचार्य पद्य सिंह शर्मा का।
(128) ‘मेरी भवबाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।’ किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(129) तजि तीरथ हरि-राधिका-तनु -दुति करि अनुराग।
जिहि ब्रज केलि निकुंज मग पग-पग होत प्रयाग।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(130) सीस मुकुट,कटि काछनी, कर मुरली, उर माल।
यहि बानिक मो मन बसो सदा बिहारीलाल।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(131) या अनुरागी चित्त की , गति समुझै नहि कोंय।
ज्यों ज्यों बूडै़ श्याम रंग, त्यौं त्यौं उज्ज्वल होय।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(132) करौ कुबत जग, कुटिलता, तजौं न दीनदयाल।
दुखी होहुगे सरल चित, बसत त्रिभंगी लाल। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(133) मोहनि मूरति स्याम की अति अद्भुत गति जोय।
बसति सुचित अन्तर तऊ प्रतिबिम्बित जग होय।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(134) दीरघ साँस न लेहि दुख, सुख साईं नहिं भूलि।
दई दई क्यों करत है, दई दई सु कबूल।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(135) चिरजीवो जोरी जुरै क्यों न सनेह गम्भीर।
को घटि, ये बृषभानुजा, वे हलधर के वीर।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(136) अजौं तर्यौना ही रह्यौ, श्रुति सेवक इक अंग।
नाक बास बेसर लह्यो, बसि मुकुतन के संग।। किसकी पंक्तियाँ हैं?- बिहारी की।
(137) ‘शृंगार सागर’ किसकी रचना है?- चरखारी के मोहनलाल मिश्र की।
(138) ‘कर्णाभरण’, श्रुतिभूषण’ और ‘भूपभूषण’ नामक तीन अलंकार सम्बन्धी ग्रंथ किसने लिखे हैं?- नरहरि कवि के साथी ‘करनेस’ कवि ने।
(139) ‘‘रसनिरूपण और अलंकार निरूपण का इस प्रकार सूत्रपात हो जाने पर केशवदास जी ने काव्य के सब अंगों का निरूपण शास्त्रीय पद्धति पर किया। इसमें संदेह नहीं कि काव्यरीति का सम्यक समावेश पहले पहल आचार्य केशव ने ही किया। पर हिन्दी में रीतिग्रंथों की अविरल और अखंडित परम्परा का प्रवाह केशव की ‘कविप्रिया’ के प्राय: पचास वर्ष पीछे चला और वह भी एक भिन्न आदर्श को लेकर, केशव के आदर्श को लेकर नहीं।’’ किसका कथन है?- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का।
(140) ‘‘हिन्दी में रीति-काव्य प्राय: उपेक्षा का ही भागी रहा है।’’ किसका कथन है?- आचार्य नगेन्द्र का।
(141) ‘‘ द्विवेदी-युग के आलोचकों ने इस कविता को नीतिभ्रष्ट कहकर तिरस्कृत किया, छायावाद के प्रतिनिधि कवि-लेखक इसकों अति-ऐन्द्रिय और स्थूल कहकर हेय समझते रहे और आज का प्रगतिशील समीक्षक इसको सामन्तवद की अभिव्यक्ति मानकर प्रतिक्रियावादी कविता कहता है। ’’ किसका कथन है?- आचार्य नगेन्द्र का।
(142) शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र का नाम क्या था?-दाराशिकोह।
(143) ‘मारि तुरक कौ मुुँह मुरकायौ। रन में विजै बुँदेला पायौ।’ किसकी पंक्तियाँ है?- कविवर लाल के ग्रंथ ‘छत्र-प्रकाश’ की।
(144) नादिर शाह का आक्रमण कब हुआ?- 1738 ई. में।
(145) अहमदशाह अब्दाली ने दिल्ली पर आक्रमण कब किया?- 1761 ई.।
(146) ‘‘शाहजहां के समय में हिन्दुस्तान का समाज सामन्तीय आधार पर स्थित था। सम्राट इस सामाजिक व्यवस्था का केन्द्र था, उसके अधीन मनसबदार या अमीर थे जो ऊँचे-ऊँचे ओहदों पर थे। इनके बाद साधारण कर्मचारियों का वर्ग था, जो राज्य के छोटे-छोटे विभागों में काम करते थे। उस समय का मध्यवर्ग अधिकतर इन्हीं लोगों से निर्मित था। इनके अतिरिक्त, व्यापारी, साहूकार, दुकानदार आदि भी थे, परन्तु ये लोग आर्थिक दृष्टि से मध्यवर्ग की स्थिति में होते हुए भी शिक्षा, संस्कृति से हीन थे निम्न वर्ग में नौकरी-पेशालोगों और मजदूरों के अतिरिक्त भारत का बृह्त कृषक-समुदाय भी था, जो सोना पैदा करके मिट्टी पर गुजर कर रहा था।’’ किसका कथन है- डॉ.ईश्वरी प्रसाद का
(147) ‘व्याकरण के आधार पर गत्यर्थक ‘रीड़्’ धातु से ‘क्चित’ प्रत्यय करके इसकी जा व्युत्पति कही जाती है, उससे यह ‘मार्ग’ का वाचक ठहरता है।’ क्या यह कथन सत्य है?- जी हाँ।
(148) ‘‘बात यह है कि व्यक्ति का अथवा वर्ग विशेष का अपने भावों की अभिव्यक्ति, व्यपारगत अनुकरण और अनुसरण का एक लक्ष्य हो जाता है, तो उनकी विधात्री पद्यति विशेष शब्द ‘मार्ग’ संज्ञा द्वारा स्वीकृत मानी जाती है।’’ किसका कथन है?- दंडी का।
(149) ‘रीति सुभाषा कवित की बरनत बुध अनुसार’ किसकी पंक्ति हैं? - चिंतामणि- कविकुल कल्पतरु- से।
(150) ‘‘आगे के कवि रीझिहैं, तौ कबिताई, न तौ । राधिका कन्हाई सुमिरन कौ बहानौं है।। किसका कथन है?-भिखारी दास।
(151) ‘‘भाषा भूषण ग्रंथ को, जो देखै चित लाय। विविध अर्थ साहित्य रस, ताहि सकल दरसाय’’।। किसका कथन है?- जसवंत सिंह
(152) ‘धुनि अवरेब कबित गुन जाती, मान मनोहर ते बहु भांती’।। किसका कथन है?- तुलसीदास।
(153) सम्राट अकबर दिल्ली के राज्य सिंहासन पर कब बैठा?- सन् 1556 में।
(154) ‘संतन को कहाँ सीकरी सो काम।आवत जात पनहियां टूटी, बिसर गयो हरि नाम।। - किसका कथन है?- कुंभनदास।
(155) ‘देव सबै सुख दायक संपति, संपति-दंपति, दंपति-जोरी।’ किसकी पंक्ति है?- देवद
(156) ‘रीति’ का समर्थन करते हुए अलंकार और रस को गौण स्थान किसने दिया?- वामन ने।
(157) उद्भट किस वाद के समर्थक थे?- अलंकारवाद के।
(158) ध्वनि-सिद्धांत का प्रतिष्ठापन किसने किया?- आनंदवद्र्धन ने
(159) मम्मट किस शताब्दी के थे?- ग्यारहवी शती।
(160) जयदेव किस शताब्दी के थे?- तेरहवीं शताब्दी में।
(161) ‘गीत-गोविन्द’ किसकी रचना है?- जयदेव।
(162) विश्वनाथ किस शताब्दी के थे?- चौदहवीं शती।
(163) ‘‘संस्कृत का अन्तिम प्रकाण्ड आचार्य जगन्नाथ और हिन्दी का प्रथम प्रतिनिधि आचार्य चिंतामणि ये दोनों समकालीन थे। जगन्नाथ शाहजहां का सभा-पण्डित था और चिंतामणि को शाहजहां द्वारा पुरस्कृत किया जाना इतिहासोल्लिखित घटना है।’’- सत्य है या असत्य।
(164) ‘‘हिन्दी में लक्षण ग्रंथ की परिपाटी पर रचना करने वाले जो सैकड़ों कवि हुए हैं वे आचार्य की कोटि में नही आ सकते। वे वास्तव में कवि ही थे। उनमें आचार्य के गुण नहीं थे। उनके अपर्याप्त लक्षण साहित्य शास्त्र का सम्यक् बोध कराने में असमर्थ है। बहुत स्थलों पर तो उनके द्वारा अलंकार आदि के स्वरूप का भी ठीक-ठीक बोध नहीं हो सकता। कहीं-कहीं तो उदाहरण भी ठीक नहीं हैं। ‘शब्द शक्ति’ का विषय तो दो ही चार कवियों ने नाममात्र के लिए लिया है, जिससे उस विषय का बोध होना तो दूर रहा, कहीं-कहीं भ्रांत धारणा अवश्य उत्पन्न हो सकती है। काव्य के साधारणत: दो भेद किए जाते हैं-श्रव्य और दृष्य। इनमें से दृष्य काव्य का निरूपण तो छोड़ ही दिया गया है। सारांश यह कि इन रीतियों पर ही निर्भर रहने वाले व्यक्ति का साहित्य ज्ञान कच्चा ही समझा जाना चाहिए। यह सब लिखने का अभिप्राय यहाँ केवल इतना ही है कि यह न समझा जाय की रीतिकाल के भीतर साहित्य शास्त्र पर गंभीर और विस्तृत विवेचन तथा नयी-नयी बातों की उद्भावना होती रही।’’ यह किसका कथन है?- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
क्या यह सत्य है कि पद्माकर ने नव रसों का सफल निरूपण किया है?- जी हाँ।
(165) पद्माकर का जन्म कहाँ हुआ?- मध्यप्रदेश के सागर जिले में।
(166) तेलंग ब्राह्मण पद्माकर का जन्म कब हुआ?- सं.1753 में।
(167) पद्माकर के पिता का नाम क्या था?- मोहनलाल भट्ट।
(168) पद्माकर की मृत्यु कब हुई?- 1833 ई. में कानपुर में।
(169) पद्माकर प्रमुख कृतियाँ हैं- ‘हिम्मतबहादुर-विरुदावली’, ‘पद्माभरण’, ‘जगद्विनोद’, ‘प्रबोध पचासा’, ‘गंगा लहरी’, ‘प्रताप सिंह-विरुदावली’ और ‘कलिपच्चीसी’ हैं।
(170) ‘पद्माभरण’ और ‘जगद्विनोद’ पद्माकर के मौलिक रीतिग्रंथ हैं। सत्य है।
जिन्होंने न तो लक्षण ग्रंथ लिखे और न रीति का अनुसरण किया वे कौन प्रकार के कवि हैं? -रीतिमुक्त।
(171) आचार्य रामचंद्र शुुक्ल ने अपने ‘हिन्दी साहित्य के इतिहास’ में सेनापति को किस प्रकार का कवि माना है?- फुटकल भक्त कवि।
(172) सेनापति के किस ग्रंथ में नायिका भेद, विरह-वर्णन के प्रसंग, षट्ऋतु वर्णन तथा चमत्कार-चारुत्व देखने को मिलता है?- ‘कवित रत्नाकर’ में।
(173) सेनापति ने ‘कवित्त रत्नाकर’ की रचना कब की?- सं. 1706।
(174) सेनापति के गुरु का नाम क्या था?- हीरा मणि दीक्षित।
(175) सेनापति के पितामह का नाम क्या था?- परशुराम दीक्षित।
(176) सेनापति के पिता का नाम क्या था?- गंगाधर दीक्षित।
(177) सेनापति का जन्म कब हुआ?- संवत् 1646 वि. के आसपास।
(178) भूषण का जन्म कहाँ हुआ?-कानपुर के समीपवर्ती तिकवांपुर नामक स्थान में।
(179) भूषण के पिता का नाम क्या था?- रत्नाकर त्रिपाठी।
(180) भूषण का जन्मकाल क्या है?- संवत् 1670।
(181) भूषण को ‘भूषण’ की उपाधि किसने दी?- चित्रकूट के राजा रुद्रशाह सोलंकी ने।
(182) भूषण की मृत्यु कब मानी जाती है?- संवत् 1772 ।
(183) केशवदास का जन्मकाल कब माना जाता है?- सं.1612।
(184) केशव की मृत्यु कब मानी जाती है?- संवत् 1674।
(185) केशवदास के पिता का नाम क्या था ?-काशीनाथ।
(186) केशव के पितामह का नाम क्या था?- कृष्णदत्त।
(187) केशवदास द्वारा लिखित कितने ग्रंथ विद्वानों के बीच प्रचलित थे?- दस ग्रंथ निम्रानुसार हैं- 1. रामचन्द्रिका (सं.1658), 2. कविप्रिया (सं.1658), 3. रसिकप्रिया (सं.1648), 4. रतनबावनी (सं.1638), 5.वीरसिंहदेव-चरित (सं.1664), 6. जहाँगीर-जस-चन्द्रिका (सं.1669), 7. विज्ञान-गीता (सं.1667), 8. बारहमासा (सं.1657),। इधर उनके दो और ग्रंथ उपलब्ध हुए हैं- 9. शिखनख (सं.1657), और 10. छंदमाल (सं.1659),।
(188) ‘केशव-ग्रंथवाली’ का प्रकाशन किसने किया?- हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद ने।
(189) ‘‘हमारी दृढ़ भावना है कि केशव ने हिन्दी को ‘महान गौरव’ प्रदान किया है। जिस प्रकार तुलसी अपनी सरलता और सूर अपनी गम्भीरता के हेतु सराहनीय है, वैसे ही वरन् उनसे भी बढक़र केशव अपनी भाषा की परिपुष्टता के लिए प्रशंसनीय हैं।’’ - किसका कथन हैं?- डॉ. श्यामसुन्दर दास ।
(190) रामचन्द्रिका के प्रमुख संवाद कौन-कौन से हैं?- 1. सुमति-विमति संवाद, 2. रावण-जाणासुन संवाद, 3. राम-परशुराम संवाद, 4. राम-जानकी-संवाद, 5. राम-लक्ष्मण संवाद, 6. सूर्पणखा संवाद, 7. सीता-रावण-संवाद, 8. सीता-हनुमान-संवाद, 9. रावण-अंगद-संवाद, 10. लव-कुश संवाद।
(191) रीतिमुक्त स्वच्छन्द धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि कौन थे?- घनानन्द।
(192) घनानन्द का जन्म कहाँ हुआ?- बुलन्दशहर में।
(193) घनानन्द का जन्म कब हुआ?- सं. 1746
(194) दिल्ली के किस बादशाह के यहाँ घनानन्द मीरमुशी थे?- मुहम्मदशाह रंगीले के
Q 18 is wrong,,,,श्रंगार सागर के रचयिता मतिराम नहीं बल्कि सुरति मिश्र हैं
ReplyDelete