Monday, 16 December 2019

रीतिकाल के रचनाकार और उनकी रचनाएँ-

 रीतिकाल के रचनाकार और उनकी रचनाएँ- (क) मुक्तक काव्य- 1.चिंतामणि: कविकुल कल्पतरू, रस विलास, काव्य विवेक, श्रृंगार मंजरी, काव्य प्रकाश, छंद-विचार।, 2. मतिराम : रसराज, ललित ललाम, सतसई, अलंकार-पंचाशिका, वृत्त कौमुदी।, 3. भूषण: (1) शिवराज-भूषण, शिवाबावनी, छत्रसाल दशक, (2) अलंकार प्रकाश, छंदोहृदय प्रकाश, 4. बिहारी: सतसई, 5.  गोविन्दसिंह: सुनीति प्रकाश, सर्वलोह प्रकाश, प्रेम सुमार्ग, बुद्धि सागर, 6 .तोष: सुधानिधि, नख शिख, विनय शतक।, 7. रसनिधि: रतन हजारा, विष्ण्ुापद कीर्तन, कवित्त, बारहमासी, गीति-संग्रह, अरिल्ल, हिंडोला, सतसई। 8. जसवंतसिंह: अपरोक्ष सिद्वांत, अनुभव प्रकाश, आनंद विलास, सिद्वांत योग, सिद्वांत सार, भाषा भूषण, स्फुट छंद।, 9.कुलपति मिश्र: रसरहस्य, नखशिख, युक्तिरंगिणी, दुर्गाभक्ति तरंगिणी (चंद्रिका), 10.मंडन मिश्र: रसरत्नावली, रस विलास, नख-शिख, काव्यरत्न, नैन पचामा, जन पचीसी।, 11.आलम : आलकेलि।, 12.वृन्द: सतसई , 13. पदुमनदास:  काव्य मंजरी। , 14 .करन कवि: साहित्य रस, रस कल्लोल।, 15. कालिदास त्रिवेदी: कालिदास-हजारा, वरवधू विनोद, जंजीरा बंद, राधा माधव-बुध मिलन- विनोद।, 16. लाल कवि:  विष्णु विलास।, 17. माखन: श्री नाग पिंगल छंद विलास।, 18. कुमारमणि: रसिक रसाल, रसिक  रंजन।, 19. देव: भावविलास, भवानी विलास, कुशल विलास, प्रेम चंद्रिका, जाति विलास, रस विलास, सुजान विनोद, प्रेमतरंग, देवचरित्र, काव्य रसायन, सुखसागर तरंग, देव शतक प्रेम दीपिका, सुमिल विनोद, राधिका विलास, नीति ातक।, 20. सूरति मिश्र: अलंकार माला, रसरत्न माला, रस सरस, रसग्राहक चंद्रिका, नख-शिख, काव्य सिद्धांत, रस रत्नाकर, भक्ति विनोद, शृंगार सागर।, 21. जोधराज:  हम्मीर रासो।, 22. उदयनाथ कवीनद्र: रस चंद्रोदय, विनोद चंद्रिका, जोग लीला।, 23. नृप शंभू: नायिका भेद, नख शिख। , 24. कृष्ण  भट्टदेव ऋषि: शृंगार रस माधुरी।, 25. जयकृष्ण भुजंग: पिंगल रूपदीप भाषा।, 26. श्रीपति: काव्य सरोज, कविकल्पद्रुम, रस सागर, अनुप्रास विनोद, विक्रम विलास, सरोज कलिका, अलंकार गंगा।, 27. गोप: रामा लंकार, रामचंद्र भूषण, रामचदं्र भरण।, 28. याकूब खां: रसभूषण।, 29. घनानंद: सुजानहित प्रबंध, कृपाकंद निबंध, वियोग बेलि, इश्कलता, यमुना यश, प्रीति पावस, पदावली, प्रकीर्णक छंद आदि।, 30. रसलीन: अंगदर्पण, रस प्रबोध,स्फुट छंद।, 31. सोमनाथ: रसपीयूश निधि, शृंगार विलास, प्रेम पचीसी।, 32. दलपतिराय वंशीधर: अलंकार रत्नाकर।, 33. रसिक सुमति: अलंकार चंद्रोदय। , 34.  भिखारीदास: काव्य निर्णय, शृंगार निर्णय, रस सारांश, छंदार्णव पिंगल, छंद प्रकाश।, 35. कृष्ण कवि: अलंकार कला निधि, गोविन्द विलास।, 36. भूपति: सतसई कंठा भूषण, रस रत्नाकर।, 37. रघुनाथ: काव्य कलाधर, रसिक मोहन, रस रहस्य, इयक महोत्सव, सभा सार। 38. दूलह: कविकुल कंठाभरण, स्फुट छंद।, 39. हितवंदावनदास: स्फुट पद , 40. गिरिधर कविराय: अनेक स्फुट  छंद।, 41 गुमान मिश्र: अलंकार दर्पण।, 42. चंदन: शृंगार सागर, काव्या भरण, कल्लोल तरंगिणी, केशरी प्रकाश, सतसई पथिक बोध, तत्व संग्रह, नख शिख, प्राज्ञ विलास, पत्रिका बोध।, 43. ब्रजवासीदास:  ब्रज विलास। , 44. बैरीसाल: भाषा भरण , 45. शिवनाथ: रसदृष्टि , 46. उनियारे: नुगगल रस प्रकाश, रस चंद्रिका , 47. जनराज: कविता रस विनोद।,48. सेवादास: नख शिख, रसदर्पण, गीता माहात्मय, अलबेले लाल जू को नख शिख, राधा सुधा शतक, रघुनाथ अलंकार।, 49. रामसिंह: अलंकार दर्पण, रस शिरोमणि, रस निवास, नस विनोद।, 50.  रतन कवि: फते प्रकाश, अलंकार दर्पण, 51. हठी जी: श्री राधा सुधा शतक।, 52. बोधा: विरह  वारीश, इश्कनामा।, 53. रामसहाय: सतसई, वृत्त तरंगिणी, वाणी भूषण, 54. नंदकिशोर: पिंगल प्रकाश, 55. दशरथ:  वृत्त विचार, 56. रसिकगोविंद: रसिक गोविंदानंदघन, पिंगल, रसिक गोविंद, युगलरस माधुरी, समय प्रबंध, लछिमन चंद्रिका अष्टदेश भाषा।, 57. समनेस: काव्य भूषण रसिक विलास, पिंगल।, 58. जसवंतसिंह द्वितीय: शृंगार शिरोमणि।, 59. पद्माकर: जगद्विनोद, पद्माभरण, गंगालहरी, प्रबोध पचासा, कलि पच्चीसी, समय प्रबंध,  लछिमन चंद्रिका, अष्टदेश भाषा।, 60 . पजनेस: स्फुट छंद।, 61. प्रतापसिंह: व्यगार्थ कौमुउर, काव्य विलास, जयसिंह प्रकाश, शृंगार मंजरी, शृंगार शिरोमणि, अलंकार चिंतामणि, काव्य विनोद, जुगल नखशिख।, 62. बेनीेबंदीजन: टिकैतराय प्रकाश, भड़ौवा संग्रह, रस विलास।, 63. बेनी ‘प्रवीन’: नवरस तंरग, शृंगार भूषण, नानाराव प्रकाश।, 64. जगतसिंह: साहित्य सुधा निधि।, 65. गिदिधदास: रस रत्नाकर,भारती भूषण, उत्तरार्ध-नायिका भेद।, 66. दीनदयालगिरि: अन्योकित्कल्पद्रुम, अनुराग बाग, वैराग्य दिनेश, दृष्टान्तरंगिनी।, 67. अमीदास: सभमंडन, वृत्तचंद्रोदय, ब्रजविलास, सतसई श्रीकृष्ण-साहित्य सिंधु, शेरसिंह प्रकाश।, 68.ग्वाल: यमुना लहरी, भक्तीवन, रसिका नंद, रसरंग, कृष्ण जू केा नखशिख, दूशण दर्पण, राधा माधव मिलन, राधाष्टक, कवि-हृदयविनोद, कविदर्पण, नेहनिर्वाह, बंसीबीसा, कुब्जाष्टक, शतऋतु वर्णन, अलंकार भ्रम भंजन, रसरूप, दृशतक।, 69. चंद्रशेखर वाजपेयी: रसिक विनोद, नखशिख, वृंदावन शतक, गुरु पंचाशिका, ताज कख् माधवी-वसंत, हरिमानस विलास।, 70. नवीन:   रंग तंरग,सुधारस।, 71. द्विजदेव: शृंगार ललिता, शृंगार बत्तीसी, शृंगार चालीसी, कवि कल्पद्रुम।
(ख)  प्रबंध काव्य- 1.चिंतामणि: रामायण, रामश्व मेध, कृष्ण चरित। , 2. गोविंदसिंह:  चंडी चरित्र । , 3. मंडन: जानकी जू का ब्याह, पुरंदर माया। , 4. कुलपति मिश्र: द्रोण पर्व (संग्राम सार) , 5. लालकवि:  छत्र प्रकाश , 6. सूरति मिश्र: रामचरित, श्री कृष्ण चरित।   7. श्रीधर: जंगनामा। , 8. सोमनाथ:  पंचाध्यायी, सुजान विलास। , 9. रघुनाथ:  जगत मोहन। ,10. गुमान मिश्र:  नैशध चरित (काव्य कला निधि)  , 11. सूदन:  सुजान चरित , 12. रामसिंह: जुगल विलास।  , 13. चंदन: सीत वसंत, कृष्ण काव्य ।
नाटक- 1. जसवंत सिंह: प्रबोध चंद्रोदय नाटक। , 2. राम:  हनुमान नाटक, 3. नेवाज: शकुंतला नाटक।, 4.  सोमनाथ:  माधव विनोद नाटक।  ,5.  देव:  देवमाया प्रपंच नाटक।  ,  6.  ब्रजवासी दास: प्रबोध चद्रोदय नाटक।
उक्त सम्पूर्ण दो सौ वर्षों की सामग्री को रीतिग्रंथों के विषयानुसार तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है।  (1)-रस-विषयक। (2)-अलंकार-विषयक ग्रंथ और (3)-विविध काव्यांग-निरूपका ग्रंथ।
(1)- रसविषयक ग्रंथ:-रस-विषयक प्राय: सभी ग्रंथ अधिकांशत: शृंगार रस की विविध सामग्री से परिपूर्ण हैं। इनमें शृंगार रस के आलम्बन के रूप में नायक-नायिका-भेदों का विस्तृत निरूपण हैं और उद्दीपन विभाव के रूप में नख-शिख, बारह मासा तथा षडऋतु का। कुछ एक ग्रंथों में शृंगारेत्तर रसों को भी स्थान मिला है। कुछ प्रख्यात उपलब्ध ग्रंथों के नाम ये हैं- (1)-सुधा निधि-तोष, (2)-रसराज-मतिराम, (3)-रस विलास तथा सुख सागर-तरंग-देव, (4)-रस-सारांश तथा (5)- शृंगार -निर्णय-भिखारी दास, (6)-रसप्रवोध-रसलीन,(7)-जगत विनोद- पद्माकर, (8)-नवरस तरंग-बेनी प्रवीन और (9)-व्यंग्यार्थ कौमुदी-प्रताप सिंह। इन ग्रंथों का शास्त्रीय विवेचन अधिकांशत: भानु मिश्र- प्रणीत रस मंजरी पर आधारित है।
अलंकार ग्रंथ- अलंकर-ग्रंथों का निर्माण रस-ग्रंथों की अपेक्षा बहुत कम हुआ है। प्रख्यात तथा उपलब्ध अलंकार-ग्रंथ निम्नलिखित हैं- (1)- भाषा-भूषण-जसबंत सिंह, (2)ललित लमाम, अलंकार पंचाशिका-मतिराम,   (3)शिवराज भूषण-भूषण, (4)-अलंकार चन्द्रोदय-रसिक सुमति, (5)कर्णाभरण-गोविन्द कवि, (6)-कविकुल कंठा भरण-दूलह, (7)- पद्माभरण -पद्माकर। इनमें से प्राय: ग्रंथ जयदेव के चद्रलोक तथा तत्प्रभावित अप्पय दीक्षित के कुवलया नंद पर समाधृत हैं।
विविध काव्यांग-निरूपण ग्रंथ- इन ग्रंथों की संख्या अत्यल्प है। इनमें से केवल 19 आचार्यों के 19 ग्रंथ उपलब्ध हैं: यथा-(1)- कवि-कुल कल्पतरू-चिंतामणि, (2)- रस रहस्य-कुलपति, (3)-काव्य मंजरी- पदुमन दास, (4)-  काव्य रसायन अथवा शब्द रसायन-देव, (5)- काव्य सिद्धांत-सूरति मिश्र, (6)- रसिक रसाल-कुमार मणि, (7)-  काव्य सरोज-श्रीपति, (8)- रस पीयूष निधि-सोमनाथ , (9)- काव्य निर्णय-भिखारी दास, (10)- रूप विलास-रूप सिंह, (11)- कविता रस विनोद-जनराज, (12)- साहित्य सुधानिधि-जगतसिंह, (13)- काव्य रत्नाकर-रणवीर  सिंह, (14)-काव्य विलास-प्रताप सिंह, (15)-काव्य संग्रह पंचांग-रामजी उपाध्याय गंगासुत, (16)-काव्य सुधाकर-जानकी प्रसाद, (17)- लक्ष्मीश्वर भूषण-शिवप्रसाद कवीश्वर, (18)- दलेल प्रकाश-थान कवि , (19)-  फतह प्रकाश-रतन कवि।  इनमें से अधिकतर ग्रंथ मम्मटकृत काव्य प्रकाश तथा विश्वनाथ साहित्य दर्पण की सहायता से निर्मित हैं। रीति ग्रंथों से पूर्व-निर्मित रीति-सम्बद्ध ग्रंथों में केशव प्रणीत दो ग्रंथ उल्लेखनीय हैं- रसिक प्रिया और कवि प्रिया। ये क्रमश: रस और विविधांग-निरूपक ग्रंथ हैं, इनका विस्तार से वर्णन पृथक इकाई में है।

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