मुण्डकोपनिषद् : मुंडकोपनिषद् दो-दो खंडों के तीन मुंडकों
में, अथर्ववेद के मंत्रभाग के
अंतर्गत आता है। इसमें पदार्थ और ब्रह्म-विद्या का विवेचन है, आत्मा-परमात्मा की तुलना और समता का भी वर्णन है। इसके मंत्र सत्यमेव जयते
ना अनृतम का प्रथम भाग, यानि सत्ममेव जयते भारत के
राष्ट्रचिह्न का भाग है । इस उपनिषत् में ऋषि अंगिरा और शिष्य शौनक के संवाद हैं । इसमें 21, 21 और 22 के तीन मुंडकों में 64 मंत्र हैं ।
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