भूल गये वह याद करेंगे
बिसर गये संवाद करेंगे
सुबह सबेरे आज कहे थे
दूपहरी कुछ बात करेंगे ।
विगत वर्ष से सुलग रही ,
पूर्णाहुति की बात करेंगे ।
अश्विन आओ यज्ञ करेंगे
पितर ऋणों को मुक्त करेंगे
आश्वासन की वेला बीती
सत्य-सृजन अनुराग भरेंगे ।।
शुभ्र-सुनहली धूप दिखाकर
दुनिया दूषित डाल हिलाकर
इमली की शाख़ों पर बादल
मुख-प्रसन्न खामोश फिरेंगे ।।
उमेश कुमार सिंह
०७/०९/२०२०
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