ग़ज़ल
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क्या हुआ उठ गए कुछ नाम चेहरा याद रहेगा ।
दिल से दी जिसने दुआ चेहरा तेरा याद रहेगा ।।
खुलकर खेल निज़ाम है तेरा कोई बात नहीं ।
अक्स आँखों में है गहरा चेहरा तेरा याद रहेगा ।।
उड़ी थी छूने आकाश निरद्वन्द नन्हीं सी पतंग।
शौक ने काटे सपने 'वंजारा' रंग तेरा याद रहेगा।
माना था बजीर-चाल हिफ़ाज़त है पैदल की।
लुट-पिट गये भले हम सेहरा तेरा याद रहेगा ।।
नए हुकूमत की बदरंग पोषाक कब बदलेगी ।
ख़ामोश हूँ सल्तनत पर पहरा तेरा याद रहेगा ।।
उलझे-अटके कितने अरमा उग आयेंगे रेत में।
'टायगर' था निज़ाम में वादा तेरा याद रहेगा ।।
-उमेश
०८/०९/१९
उम्दा है
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