Monday, 21 July 2025
मणिं दत्वा
जिज्ञासा -मणिं दत्त्वा ततः सीता हनूमन्तमथाब्रवीत् । अभिज्ञानमभिज्ञातमेतद् रामस्य तत्त्वतः (१)मणि देने के पश्चात् सीता हनुमान् जी से बोलीं- 'मेरे इस चिह्न को भगवान् श्री रामचन्द्र जी भलीभाँति पहचानते हैं (१) मणिं दृष्ट्वा तु रामो वै त्रयाणां संस्मरिष्यति । वीरो जनन्या मम च राज्ञो दशरथस्य च (२)'इस मणि को देखकर वीर श्रीराम निश्चय ही तीन व्यक्तियों का- मेरी माता का, मेरा तथा महाराज दशरथ का एक साथ ही स्मरण करेंगे ॥ २ ॥(श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणे एकोनचत्वानरिंश: सर्ग:)दूसरे श्लोक में सीता कहती हैं,इस मणि को देखकर वीर श्रीराम निश्चय ही तीन व्यक्तियों का- मेरी माता का, मेरा तथा महाराज दशरथ का एक साथ ही स्मरण करेंगे। बाल्मीकि जी तीनों के स्मरण का कारण नहीं बताते।मैं जो अनुमान लगा पा रहा हूं, 'यहां माता अर्थात् मायका, मेरा अर्थात सीता के वर्तमान परिस्थिति का, दशरथ याने ससुराल का।'⭐'मेरा ऐश्वर्य पूर्ण मायका, चक्रवर्ती सम्राट की बहू, अजेय राम की पत्नी।'⭐⭐क्या यह भी संकेत है कि आपातकाल में प्रत्येक बेटी /पत्नी/बहू को यही तीन स्मरण आते हैं?⭐⭐⭐और भी बहुत कुछ हो सकता है। बाल्मीकि कविपुंगव जो ठहरे।…............⭐ वृहत्तर कुटुम्ब के निहितार्थ।⭐⭐ कुटुम्ब का स्वाभिमान।⭐⭐⭐ कुटुम्ब की रक्षा में अपनी सुरक्षा।…...#परिवार प्रवोधन #अतीत का गौरव
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