आदि शंकराचार्य का जन्म काल
प्रशासनिक अधिकारी व इतिहासकार वेदवीर आर्य जी ने ऐतिहासिक कालक्रम पर बहुत सुंदर पुस्तकें लिखी हैं। इतने प्रमाण के साथ कालक्रम पर भारत में शायद ही कोई पुस्तक लिखी गई हो। उनके शोध की सुंदरता यह है कि उन्होंने सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के कालखंड को चिन्हित कर क्रमबद्ध किया है, न कि कोई एक तिथि सुधारकर भ्रमित किया है---जैसे पूर्ववर्ती इतिहासकारों ने किया। सबसे पहले वेदवीर जी ने ही इस ओर ध्यान खींचा कि जिस तिथि को हम जीसस की जन्मतिथि समझकर ईस्वी सन का आरंभ मानते हैं---वह ही गलत है।
वेदवीर जी ने अनेक प्रमाणों से स्थापित किया है कि आदि शंकराचार्य जी का जन्म काल 569-537 ईसापूर्व है। इसके साथ ही उन्होंने बुद्ध निर्वाण से लेकर शंकर के पूर्ववर्ती व परवर्ती बौद्ध दार्शनिकों का कालक्रम भी ठीक किया है।
पूर्वानाम्नाय पुरी पीठाधीश्वर आदिशंकराचार्य का जन्म 507 ईसापूर्व बताते हैं। यानि आज से करीब ढाई हजार साल पहले आदि शंकराचार्य जी का जन्म हुआ था।
फिर भी, आज बहुत लोग उनका जन्म ईस्वी सन की सातवीं शताब्दी लिख रहे हैं। साल दो साल का अंतर समझ आता है, यहां तो हमारा हजार साल का इतिहास ही हजम किया जा रहा है।
आचार्य शंकर शिवावतार थे। उनके जन्म काल को लेकर इतना झूठ फैलाया जाना दुःखद है। आचार्य शंकर हमारी दर्शन परंपरा के 'केदार' हैं। आचार्य शंकर की प्रविधि-प्रयासों से हमारी सदाजीवा दर्शन-परंपरा तेजोमय है।
सर्गे प्राथमिके प्रयाति विरतिं मार्गे स्थिते दौर्गते स्वर्गे दुर्गमतामुपेयुषि भृशं दुर्गेऽपवर्गे सति।
वर्गे देहभृतां निसर्ग मलिने जातोपसर्गेऽखिले सर्गे विश्वसृजस्तदीयवपुषा भर्गोऽवतीर्णो भुवि।।
सनातन संस्कृति के पुरोधा सनकादि महर्षियों का प्राथमिक सर्ग जब उपरति को प्राप्त हो गया, अभ्युदय तथा निःश्रेयसप्रद वैदिक सन्मार्ग की दुर्गति होने लगी, फलस्वरुप स्वर्ग दुर्गम होने लगा, अपवर्ग अगम हो गया, तब इस भूतल पर भगवान भर्ग ( शिव ) शंकर रूप से अवतीर्ण हुए।
यह तस्वीर देखकर आह्लादित हूं, शीघ्र ही समाधि स्थल का साक्षात दर्शन करूंगा।
श्री शंकराचार्य विजयेततराम!
अरुण प्रकाश
आदि शंकराचार्य का जन्म काल
प्रशासनिक अधिकारी व इतिहासकार वेदवीर आर्य जी ने ऐतिहासिक कालक्रम पर बहुत सुंदर पुस्तकें लिखी हैं। इतने प्रमाण के साथ कालक्रम पर भारत में शायद ही कोई पुस्तक लिखी गई हो। उनके शोध की सुंदरता यह है कि उन्होंने सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के कालखंड को चिन्हित कर क्रमबद्ध किया है, न कि कोई एक तिथि सुधारकर भ्रमित किया है---जैसे पूर्ववर्ती इतिहासकारों ने किया। सबसे पहले वेदवीर जी ने ही इस ओर ध्यान खींचा कि जिस तिथि को हम जीसस की जन्मतिथि समझकर ईस्वी सन का आरंभ मानते हैं---वह ही गलत है।
वेदवीर जी ने अनेक प्रमाणों से स्थापित किया है कि आदि शंकराचार्य जी का जन्म काल 569-537 ईसापूर्व है। इसके साथ ही उन्होंने बुद्ध निर्वाण से लेकर शंकर के पूर्ववर्ती व परवर्ती बौद्ध दार्शनिकों का कालक्रम भी ठीक किया है।
पूर्वानाम्नाय पुरी पीठाधीश्वर आदिशंकराचार्य का जन्म 507 ईसापूर्व बताते हैं। यानि आज से करीब ढाई हजार साल पहले आदि शंकराचार्य जी का जन्म हुआ था।
फिर भी, आज बहुत लोग उनका जन्म ईस्वी सन की सातवीं शताब्दी लिख रहे हैं। साल दो साल का अंतर समझ आता है, यहां तो हमारा हजार साल का इतिहास ही हजम किया जा रहा है।
आचार्य शंकर शिवावतार थे। उनके जन्म काल को लेकर इतना झूठ फैलाया जाना दुःखद है। आचार्य शंकर हमारी दर्शन परंपरा के 'केदार' हैं। आचार्य शंकर की प्रविधि-प्रयासों से हमारी सदाजीवा दर्शन-परंपरा तेजोमय है।
सर्गे प्राथमिके प्रयाति विरतिं मार्गे स्थिते दौर्गते स्वर्गे दुर्गमतामुपेयुषि भृशं दुर्गेऽपवर्गे सति।
वर्गे देहभृतां निसर्ग मलिने जातोपसर्गेऽखिले सर्गे विश्वसृजस्तदीयवपुषा भर्गोऽवतीर्णो भुवि।।
सनातन संस्कृति के पुरोधा सनकादि महर्षियों का प्राथमिक सर्ग जब उपरति को प्राप्त हो गया, अभ्युदय तथा निःश्रेयसप्रद वैदिक सन्मार्ग की दुर्गति होने लगी, फलस्वरुप स्वर्ग दुर्गम होने लगा, अपवर्ग अगम हो गया, तब इस भूतल पर भगवान भर्ग ( शिव ) शंकर रूप से अवतीर्ण हुए।
यह तस्वीर देखकर आह्लादित हूं, शीघ्र ही समाधि स्थल का साक्षात दर्शन करूंगा।
श्री शंकराचार्य विजयेततराम!
अरुण प्रकाश
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