भारत जमीन का एक टुकड़ा भर नहीं है। जाग्रत देव है जिसके आध्यात्मिक सूत्र की परिधि द्वादश ज्योतिर्लिंगों, चार शंकर पीठों, इक्यावन शक्ति पीठों, इक्कीस गणपति क्षेत्र और इक्कीस सौर सिद्ध स्थलों को छूती है।
परन्तु दुर्योग, सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का विभाजन पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है। संसार में ईसाईयों, मुसलमानों और बौद्धों की कई जमीनें हैं। (ईसाइयों और बौद्धों के पास तो उज्जवल भविष्य भी है।) हिन्दुओं की एक ही जमीन है भारत और वह भी कलहग्रस्त, संशयग्रस्त, आपदात्रस्त।
समस्या के एक सूत्र को समझें कि सागरमाथा गौरीशंकर कैसे एवरेस्ट बन जाता है और वर्णनातीत क्षमताओं वाले महाकवि कालिदास भारत के शेक्सपियर, महान योद्धा समुद्रगुप्त भारत का नेपोलियन बोनापार्ट।
भारत शब्द दो ढंग से बन सकता है –
१. भरत + अण् = भारत
(भरत की सन्तति)
२. भा: + रत = भारत
(प्रकाश में रत)
इन दोनों में प्रथम मौलिक है।
प्रकारान्तर से ही सही हर सनातन धर्मावलम्बी भारत के भौगोलिक विस्तार को अपने दैनिक संकल्प में याद करता है।
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे
श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वंतरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरने जंबुद्वीपे भारतवर्षे आर्यावर्तैकदेशे....
वायु पुराण कहता है:-
सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।
नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत।
(वायु 31-37, 38)
अग्नि,वायु एवं विष्णु पुराण में समानार्थी श्लोक है :-
उत्तरं यत् समुद्रस्य, हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्।
वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संतति।।
बृहस्पति आगम का कथन है :-
हिमालयं समारम्भ्य यावद् इन्दु सरोवरम।
तं देव निर्मित देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।
महर्षि पाणिनि के अष्टाध्यायी में वर्णित भारत और प्रान्तों के भूगोल से यहाँ केवल चार जनपदों की ही बात करते हैं।
(१.) कपिशी या कापिशी या कपिशा (वर्तमान नाम बेग्राम काबुल से लगभग पचास मील उत्तर)
(२ .) कापिशी से और भी उत्तर में कम्बोज जनपद था, इस समय दक्षिण एशिया का पामीर पठार है ।
(३.) मद्र जनपद-तक्षशिला के दक्षिण-पूर्व में मद्र जनपद था, जिसकी राजधानी शाकल (वर्त्तमान में स्यालकोट) थी ।
(४.) त्रिगर्त देशः- वर्त्तमान पंजाब का उत्तर-पूर्वी भाग जो चम्बा से कांगडा तक फैला हुआ है, प्राचीन त्रिगर्त देश था । इसका नाम त्रिगर्त इसलिए पडा, क्योंकि यह तीन नदियों की घाटियों में बसा हुआ था, ये तीन नदियाँ थीं--सतलुज, व्यास और रावी ।
सन् 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग कि.मी. था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग कि.मी. है। जबकि पड़ोसी 9 देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग कि.मी. बनता है।
शैव फिर प्रकृतिपूजक फिर बौद्ध और फिर विधर्मी बनी हमारी पश्चिमी भूमि! 26 मई, 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट स्थापित किया गया।
उधर मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य का सुगठन कर चुके थे। अंग्रेज ने विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर नेपाल को एक स्वतन्त्र अस्तित्व प्रदान कर अपना रेजीडेंट बैठा दिया। महाराजा त्रिभुवन सिंह ने 1953 में भारतीय सरकार को निवेदन किया था कि आप नेपाल को अन्य राज्यों की तरह भारत में मिलाएं।
1955 में रूस द्वारा दो बार वीटो का उपयोग कर यह कहने के बावजूद कि नेपाल तो भारत का ही अंग है, पं. नेहरू ने पुरजोर वकालत कर नेपाल को स्वतन्त्र देश के रूप में यू.एन.ओ. में मान्यता दिलवाई।
म्यांमार भूटान, श्रीलंका तिब्बत बिछड़े सभी बारी बारी!
फिर एक दिन कहा गया कि भारत अब आजाद हो रहा है लेकिन हमारी जमीन बंटेगी और इसे कैसे बांटना है यह अंग्रेज बहादुर और मुसलमान तय करेंगे। काहे की आजादी अंकल!
क्रमशः
डॉ. मधुसूदन उपाध्याय
२७/०७/१८
लखनऊ
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