दिन दस आदर पाइ कै, करि लै आपु बखान।
जौ लगि काग सराध परबु, तौ लग तौ सनमान।
तथा
मरतु प्यात पिंजरा परयो, सुआ समय कै फेर।
आदर दै दै बोलियत, बायसु बलि की बेर।।
स्वारथ सुकृत न श्रम बृथा देखि बिहंग बिचारि।
बाज पराये पानि पर तू पच्छीन न मारि।।
वे न इहां नागर बढ़ी जिन आद तो आब।
फूलो अनफूल्यों भयौ,गवंई गांव गुलाब।।
चल्यो जाइ,ह्यां को करै,हाथिन के व्यापार।
नहिं जानतु ,इहिं पुरबसै,धोबी ओड़,कुंभार।।
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