Thursday, 20 May 2021

 

अर्धशासकीय पत्र ​​​​​​​​18 मई 2021

 

मान्यवर,

नमस्कार

आशा है आप सपरिवार स्वस्थ एवं सानद होंगे. हम सब जानते हैं कि सम्पूर्ण विश्व के साथ हमारा देश भी कोविद -19 जैसी भयानक बीमारी की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहा है.

शिक्षा क्षेत्र से जुड़े होने के कारण हमारे संकट का कारन केवल व्यक्तिगत परिवार ही नहीं है तो हमारे पास देश का भविष्य है. हमारे प्रिय विधार्थी आज जहाँ इस विपदा से सुरक्षित रहने को संघर्ष कर रहें है वहीँ अपने भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं और उनकी चिंता स्वाभाविकरूप से हमारी चिंता है. .

जैसा की हमारे प्रधानमंत्री जी कहते है कि यह आपदा में अवसर ढूढने का समय है. .ऐसे में स्वामी विवेकानन्द जी का ध्यान आता है जब वे कहते है की ‘सच्ची शिक्षा मानवता की सेवा है’.

संभव है आपके भोगोलिक क्षेत्र तथा विश्वविद्यालय परिसर में भी इस महामारी से प्रभावित होने की धटनाएं घटित हुई होंगी ।

     मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप लोग इस महामारी के यथेस्ट समाधान के लिये सामाजिक दायित्वबोध का निर्वहन प्रभावी तरीके से कर ही रहें होंगे। ऐसे समय पर हम सबका परम कर्तव्य बनता है कि अपने सभी हितधारकों जैसे- विद्यार्थी, शैक्षणिक, अशैक्षणिक कर्मचारी तथा उनके परिजनों के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं समग्र कल्याण का ध्यान रखें।

साथ ही विश्वविद्यालय परिसर से लगे नगरीय तथा ग्रामीण क्षेत्र के रहवासियों का भी इस लाकडाउन की परिस्थिति से उत्पन्न होने वाली परेशानी को ध्यान में रख कर समाधान सेवा के माध्यम से कैसे किया जा सकता है, इस बात की भी चिंता करें ।

 

     भारत तथा प्रदेश सरकार द्वारा जिस तत्परता से प्रयास किये जा रहे है, उम्मीद की जा रही है की हमारा प्रदेश और देश इस महामारी से जल्द ही बाहर आएगा.

विश्व स्वास्थ संगठन और भारत तथा प्रदेश सरकार  द्वारा समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं, इन निर्देशों का पालन करना तथा कराना कोविड संक्रमण के प्रसार को रोकने में सहायक होगा।  

इस दृष्टि से कोविड संक्रमण की श्रृखला को समाप्त करने के निम्नलिखित उपायों पर आप सब विचार और क्रियान्वयन कर ही रहे होंगे, जिन्हें स्मरण कराया जाना उचित होगा-

1.​स्नातकोत्तर विद्यार्थी / शोध छात्र / एन.एस.एस / एन. सी.सी. के विद्यार्थियों का सहयोग लेना।

2.​ टास्क फोर्स / हेल्प लाइन का गठन।

3.​शारीरिक दूरी - मास्क है जरूरी।

4. हस्त प्रच्छालन/ सेनिटाइजर का उपयोग।

5.​ मनो-सामाजिक सहायता और कल्याण के लिये परामर्श प्रदान करना।

6.​ आवश्यक व्यायाम तथा प्राणायाम ।

7. ​संकट ग्रस्त विद्यार्थी, उनके परिवार और दिव्यांगजनों तक त्वरित मदद पहुँचाने की व्यवस्था करना।

8.​विश्वविद्यालय परिसर में कोविड केंद्र बनाये जाने पर उदारता का परिचय।

9.​अस्पताल में भर्ती होने एवं आपालकाल परिस्थिति में आक्सीजन सिलेण्डर की व्यवस्था कराना।

     मैं आयोग की तरफ से तथा व्यक्तिगत रूप से भी सभी विश्विद्यालयों के माननीय कुलाधिपति तथा कुलपति गणों से अपने संस्थागत प्रयासों को और अधिक सुद्रढ़ करने का आग्रह करता हूँ। हम सभी को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगें बढकर कोविड-19 महामारी के इस दूसरी लहर के विरूद्ध एक जुटता का परिचय देते हुये सामना करना होगा।

श्रीमदभगवत गीता में कहा गया है –

अधिष्ठानम तथा कर्ता करणं च पृथग्विधम.

विविधाश्च  पृथक्चेष्टा दैवम चैवात्र पंचमं .

हम इस सन्देश के निमित्त बने, इसी के साथ आप सभी को मेरी शुभ कामनायें।

​​​​​​​​​​भवदीय

भरत शरण सिंह

प्रति,

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