Thursday, 26 March 2020

मानवता को बचाना होगा

देश के नासमझ समझदारी की बातें करने लगे हैं !!

किंतु मेंढक हैं जो मेंढ़की से कूप में ही टर्रा रहें हैं।

तुलसी बाबा ने ठीक ही कहा है, मूरख हृदय न चेत जो गुरु मिलहि बिरंचि सम।

वामियों /कम्युनिस्टों  ने मूर्खता की हद तक कैसी गांठ बांध रखी है ? देश का नेतृत्व दुनिया को दिशा दे रहा है और आपको व्यंजना सूझ रही है।
तुलसी ने ठीक ही कहा है -चलय जोंक जल बक्र गति ज्यदपि सलिल समान। !!

 सहृदयों !!? को अपने अहंकारी बौद्धिक चमरासन से उतर कर नायक पर विश्वास करना ही होगा। नान्या: पंथा: ।

अब समझ आ जाना चाहिए कि भारत- देश कोई जड़ वस्तुओं का पिटारा नहीं। वह मनुष्यता की खान है ,जिसे नर रूपी नारायण की सेवा कर बचाना होगा। अन्यथा विश्व नष्ट होगा।

नसमझों,मानवता-घातियो के बारे में आसक्ति और मोह पालने का , उनके बारे में शोक करने का अवसर नहीं है।

जरा श्री कृष्ण की बात को गौर करें-
"द्रोणंच भीष्मंच जयद्रथंच
कर्णं तथान्यानपि योधवीरान् 
मया हस्तांस्त्व जहि मां व्यथिष्ठा
युध्यस्य जेतासि रणे सपत्नान्।।

1 comment:

  1. Very relevant article in present scenario. Keep it up sir. I got a lot of information, logic and conceptual clarity in your article.

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