Wednesday, 28 February 2024

भारतीय ज्ञान परम्परा को कैसे प्राप्त करें

उच्च शिक्षा विभाग की छोटी -छोटी समस्याएं -दस हजार एजीपी, पदोन्नति सक्षम प्राचार्य, कुलपति, रजिस्ट्रार नियुक्त हों, चापलूसी और अवसर वादिता खत्म हो, सलाहकारों की करनी कथनी एक हो तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान परम्परा स्वत: लागू होती जायेगी ।

विभाग विद्वानों की (तथाकथित विद्वानों की नहीं अर्थात पदेन कुलपतियों, आयातित-प्रदेश के बाहर के विद्वान नहीं जो प्रदेश को पहचानते ही न हों,जिनकी पहचान उनके आकाओं से होती हो) एक समिति बनाये, उनकी नियमित बैठकें हों, पाठ्यक्रम, परीक्षा मूल्यांकन, विश्वविद्यालय/महाविद्यालयों का परिसर, परिवेश प्राचीन ज्ञान (अध्यात्मिक वातावरण ) आधारित हो तो भारतीय ज्ञान परम्परा के परिणाम दिखेंगे।

बोनसाई को पर्दे पर आदम कद रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, वह तत्वज्ञानी भी दिख सकता है किन्तु वास्तविक धरातल पर परिवर्तन नहीं कर सकता। भारतीय ज्ञान परम्परा आचरण से समझ में आती है न कि उपदेश या प्रवक्ताओं के पी पी टी से।

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