मैकाले को दोष देनेवाले स्वतंत्र राष्ट्र के बौद्धिको
या तो मेकाले के नाम पर रोना बंद करें या NEP जैसे विदेशी शब्दों का उपयोग बंद करें।।
स्वतंत्रता/स्वाधीनता के 75 वर्ष किसी राष्ट्र के लिए लघु काल हो सकता है, किंतु राजकीय सत्ता के लिए वानप्रस्थ अवस्था होती हैं।
सीधे शब्दों में समझें तो राजसत्ता के विकास की बौद्धिक अवस्था। यदि राज सत्ता ठीक दिशा में स्वत्वों का आधार लेती हुई बढ़ती है तो , इसके बाद यह सीमा टूटती है, और राज सत्ता क्रमशः राष्ट्र सत्ता (आध्यात्मिक) की छाया में प्रवेश करती है।
दूसरे शब्दों में राजसत्ता रूपी शिशु राष्ट्र सत्ता की गोद में किलकारी भरता है। तब कहीं यौवन को प्राप्त करता हुआ , राजसत्ता की केंचुल उतार संसृति का आधार (नित्य नूतन चिर पुरातन राष्ट्र) शेषनाग बनता है।
एन ई पी तो ज्वलंत उदाहरण है। ऐसे अनेक शब्द हैं, जिनका हिन्दी में सुंदर उपयोग हो सकता है , यथा- योग, राम, कृष्ण , स्वतंत्रता, स्वाधीनता किंतु योगा,रामा,कृष्णा , आजादी जैसे शब्दों का व्यवहार न केवल बौद्धिक जगत के आत्मगौरव का दिवालियापन दिखाता है अपितु भावी पीढ़ी के लिए व्याकरण और स्वभाषी शब्दों का भ्रम भी पैदा करता है।
हिंदी भाषा पखवाड़ा/पक्ष , हिन्दी दिवस के स्थान पर राजभाषा पखवाड़ा/पक्ष या राजभाषा दिवस कहने से हिन्दी स्वयं मान्य होती है। अन्यथा हिन्दी पक्ष/दिवस से ऐसा प्रतीत होता है,मानों यह केवल हिन्दी भाषियों का उत्सव है।शेष उदासीन रहते हैं।
राष्ट्र की आराधना में हमारी बौद्धिक चेतना पुष्ट हो, राजभाषा की शुभकामनाओं के साथ ।
सादर
उमेश कुमार सिंह
13/9/21
सही बात है। इसे समझना आवश्यक है।
ReplyDeleteसत्य है 🙏
ReplyDeleteआदरणीय भाई साहब,
ReplyDeleteमेरा तर्क तो यह है कि हम संविधान की धारा ३० (क) को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करें व पुनः गुरुकुलों की स्थापना कर अगले २० -२५ वर्षों में नागरिकों को उत्कृष्ट नागरिक बना कर राष्ट्र को विस्तार दें
सुन्दर विवेचना
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर व्याख्या। सभी तथ्य विचारणीय
ReplyDeleteडा पंकजा शुक्ला
ReplyDeleteसही है
ReplyDeleteपते की बात आपने कह दिया
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सही कहा आदरणीय।राजभाषा हिंदी दिवस ना केवल एक दिवस के रुप में मनाया जाना चाहिए बल्कि एक राष्ट्रीय पर्व एवं राष्ट्र के गौरव के रूप में मनाया जाना चाहिए
ReplyDeleteहिन्दी जब हर घर में बोली जाने लगेगी तो हिन्दी दिवस मनाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी, हां राजभाषा दिवस मनाना अलग बात है
ReplyDelete👍🙏🙏👌👌👌
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