Tuesday, 23 September 2025

श्रद्धा भूल सुधार है

श्राद्ध भूल सुधार है। 

दरअसल (मृत्यु) शरीर परिवर्तन के बाद जब मनुष्य इच्छित योनि का चयन नहीं कर पाता तो वह प्राण तत्व में आरूढ़ होकर कर्म के भोगों को ढोता है।

जन्म की यात्रा तीन जगह से होती है। एक देव लोक से, दूसरा नर्क लोक से। तीसरा प्रेत लोक से।

संतानें जब पिंड दान कर मृतक की गलतियों को क्षमा करने ईश्वर का आह्वान करती हैं,और श्रद्धा से प्रार्थना करती हैं,तब प्रेत लोक की आत्माएं या तो नर्क लोक जाती हैं,या देवलोक। कुछ पुण्यात्माओं को प्रेत लोक से सीधे मृत्यु लोक में प्रवेश मिलता है।

फिर वे जन्म के लिए योनि ग्रहण करती हैं, प्रारब्ध के आधार पर।

ऐसा ही कुछ गरुण महराज का मत है। जो उन्होंने नारायण के सत्संग से प्राप्त किया है।

24/9/25

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