२. (सो. बहु.) विष्णु के मत में यह पुरुहोत्र का पुत्र है।
३.तृषित नामक देवगणों में से एक है।
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1. अंशु-अश्विनों ने इसकी रक्षा की थी (ऋगवेद. ८.५. २६)।
२. कृष्ण तथा बलराम का गोकुल का सला (भा. १०. २२. ३१)।
३. मार्गशीर्ष (अगहन) माह के सूर्य का नाम (मा. १२. ११.४१)।
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अंशुमत्- एक आदित्य। इसे किया नाम की स्त्री थी। यह आषाढ़ में प्रकाशित होता है। इसकी १५०० किरणें हैं (भवि. ब्राह्म. १६८)।
अंशु (२.) तथा यह एक ही हैं।
* असमंजस का पुत्र। पितरों की मानस- कन्या यशोदा इसकी स्त्री है।
सगर का अश्वमेधीय अश्व ढूंढ लाने के लिये असमंजस ने इसे भेजा।
मार्ग में इसे इसके पितृव्य कपिलाश्रम के पास मृत पडे हुए दिखे।
वहीं वह अश्व भी दिखा।
तब इसने कपिल की स्तुति की। परंतु कपिल ध्यानस्थ था। अतएव उसने इसकी स्तुति न सुनी।
इतने में उसका मामा गरुड़ वहां आया। भागीरथी के जल के स्पर्श से काम होगा, ऐसा बता कर वह चला गया।
कपिल जागृत होने के बाद उसने अंशुमान को स्तुति करते हुए देखा।
उसकी सतुति से संतुष्ट हो कर उसने इसे भागीरथी की स्तुति करने को कहा।
बाद में यह अश्व ले गया तथा पहले अश्वमेध यज्ञ पूरा करवावा।
सगर ने तुरंत ही इसे राज्य दिया तथा यह वन में गया।
इसने भी अपने पुत्र दिलीप को राजसिंहासन पर बिठाया तथा उसे प्रधान के हाथ में सौंप कर भागीरथी के प्राप्त्यर्थ संपूर्ण जीवन तप में बिताने के लिये यह वन में गया।
परंतु सिद्धि के पूर्व ही इसकी मृत्यु हो गई (म. ब. १०६; वा. रा. बा. ४१-४२)।
यह शिवभक्त था।
इसने ३०८०० साल राज किया (भवि. प्रति. १.३१) ।
४. एक अन्य अंशु जो द्रौपदी के स्वयंवर के लिये गया हुआ राजा (म. आ. १७७.१०)। इसे महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य ने मारा (म. क. ४०६७)।
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