Sunday, 13 April 2025

जीवन

2024 पृष्ठ -तीन (8)

 
वर्ष देख जीवन के बीतते 
उतराता - डूबता हूं 
आश्चर्य में 
किस रहस्यपूर्ण डोर से बंधकर
पहुंचता जा रहा हूं 
अनदेखे अपठित काल के
अगले पृष्ठ को पढ़ने ।

गिनते हुए वर्ष के नवीन पृष्ठ 
जो लिखा जा चुका है
विधाता के हाथ
परंतु जीने का पुरुषार्थ-
भ्रम जिंदा है कि
मैं ही लिखता आ रहा हूं।

कर्म और प्रारब्ध का द्वंद्व 
लेकर एक दिन  
विदा होना है
किसी को आज
 तो
किसी को कल ।

चालू रहेगी यह अक्षुण्ण
काल की अनंत यात्रा
क्योंकि काल गति अखंड है !!

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