आज डॉ मोहन यादव जी का जन्म (दिन) दिनांक है। अशेष शुभकामनाएं।
अनेक संदेश फेसबुक पर पढ़ने और देखने को मिल रहे हैं।
अधिकतम संदेश मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को हैं तो कुछ यशस्वी मुख्यमंत्री जी को। डां मोहन यादव को एक भी नहीं दिखा।
प्रभुता को बधाई / शुभकामनाएं हैं या..... व्यक्ति को.?
अनेक फोटो इसलिए भी हैं कि सभ्य समाज को यह जता दें कि डां मोहन यादव मुख्यमंत्री , मध्यप्रदेश, उनको जानते हैं।
अनुभव के आधार पर लिख सकता हूं कि डॉ मोहन यादव जी की यह विशेषता है कि उनसे जिनका एक भी बार सम्बंध बना वे उसे स्मरण रखते हैं और निभाते हैं। फिर भी बधाई देने वाले को लगता है स्मरण दिलाना 'सनद रहे वक्त पर काम आयेगा ' जैसा है। कुछ सहज अपनत्व भी।
ठीक भी है सत्ताशीर्ष से कौन नहीं जुड़ना चाहता है। भले ही शायर लिख- लिख कर थक गये हो कि -
हस्ती के मत फरेब आ जाइयो 'असद',
आलम तमाम हल्कए -दामे-ख्याल है।।
एक मजेदार बात की ओर एक मित्र ने ध्यान दिलाया। आज के समाचार पत्रों में मा मुख्यमंत्री जी के कार्यकाल में उनके उपलब्धियों को लेकर उनका स्तुतिगान किया है। यह अनुचित भी नहीं है।
लेकिन मजेदार बात यह है कि स्तुति कर्ता पत्रकार गण कोई और नहीं, वही हैं जो कल तक भूत मुख्यमंत्री जी की प्रशंसा करते नहीं थकते थे। शब्दजाल वही, सधे हुए वाक्य वही।तरकश और तीर भी वही। है न आश्चर्य!!
कई मीडिया घराने के खाटी पत्रकारों ने तो अपनी पुरानी पोस्ट ही उलट कर डाल दी। आखिर दो शब्द नया लिखने की तोहमत क्यों मोल लें।
कारण लिखते समय उपलब्धियों में कुछ ईमानदारी और पत्रकारिता धर्म जग गया कि अनेक विभागों के बजट में से राशि लेकर लाड़ली बहना योजना को दे दी गई। अफसर आखिर न भी कैसे करते? उनके वेतन तो रुकेंगे नहीं। दुखी होंगे तो अतिथि, संविदा कर्मी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या छोटा कर्मचारी!!
एक ने बताया कि जन्मदिन पर भा मजदूर संघटन से जुड़े कई संगठन आंदोलन की योजना बना रहे हैं!!
आखिर इस माह के उनके वेतन का बजट/ पैसा जो विभाग ने अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया।
फिर संगठन के पदाधिकारियों को सूखे गले से चासनी की शुभकामनाएं भी तो देनी है। कैसे दें तो संगठन मुखिया ने कहा, चलो ऐसा करो कि सरकार भी खुश रहे और वर्कर भी चिल्ल पो न करें।
अन्यथा तो कृपा फिर कब जागेगी,कौन जाने। फिर दम भी तो बताना है। ऐसे में याद आती हैं पंक्तियां -
बूंद पानी की हूं, थोड़ी सी हवा है मुझमें,
इस बिजाअत पर क्या तुरफां अयां है मुझमें।।
खैर, आज प्रसन्नता का दिन है। प्रदेश के मुखिया का जन्मदिन है।
किसी प्रदेश की सारी जनता की इच्छा रहती है कि उसके और उसके मुखिया का सम्बन्ध कैसा हो,अंग्रेजी कवि सार्जेंट जायस किलमर की इन पंक्तियों में अभिव्यक्त पा रही है -
A tree that looks At God All day;
And lift her leafy Arms to pray;
...... A tree that may in summer wear
A nest of robins in her hair;
अंत में -
" जीवेत शरद: शतम् शतम्, सुदिनं सुदिनं जन्मदिनम् । भवतु मंगलम्।।
विजयीभव सर्वदा, जन्मदिनस्य हार्दिक शुभेच्छा:।
आने वाले दिनों में डॉ मोहन यादव जी (मुख्यमंत्री) के नेतृत्व में प्रदेश का अंतिम व्यक्ति भी विकास कर स्वाभिमानी बन सके (कटोरा याचक और दाता दोनों का छूट सके) । तदर्थ, संविदा,कर्मी शब्दों से जवानी मुक्ति पा सके।
प्रदेश को वैभव की अनंत ऊँचाइयों पर ले जाने हेतु आप माध्यम बनें। शुभकामनाएं
🙏🙏🙏🌹
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