दिल्ली और भाजपा का भविष्य
* दिल्ली में आतिशी जी का राज क्या भाजपा के लिए संजीवनी सिद्ध होगा।
* दिल्ली विधानसभा चुनाव तक वे दिल्ली की मुख्यमंत्री रहेंगी।
* उनकी प्राथमिकता और कमजोरी-
# केजरीवाल की लोकप्रियता बनाये रखना होगा।
# अरविन्द केजरीवाल के निर्देशों का पालन करना।
# विधायकों और मंत्रियों को अपने निर्देशों को पालन करने को राजी करना।
# पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच केजरीवाल को धुरी बनाये रखना।
# एल जी के साथ टकराव को बचाना।
* देखना होगा आतिशी का मुख्यमंत्री के रूप में सफर दिल्ली वासियों और आगामी विधानसभा के लिए कितना सहायक होगा!
….....
भाजपा के लिए -
* वर्ष 1996 में मदन लाल खुराना ने उनका नाम जैन हवाला कांड में आने से दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दिया था।
* तब उन्होंने भी लगभग वही कहा था जो अब केजरीवाल कह रहे हैं। खुराना ने कहा था कि वे कोर्ट से आरोपमुक्त होने के बाद फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।
* पार्टी की तत्कालीन गुटबाजी ने ऐसा नहीं होने दिया और प्रयोग का जो दौर चला, भाजपा को दिल्ली राज्य की सत्ता से आज तक दूर रखा।
* यहीं से भाजपा का ग्राफ नीचे जाना प्रारंभ हुआ जो आज भी नहीं सुधर रहा है।
* बाद में साहिब सिंह वर्मा की जगह सुषमा स्वराज के नाम पर पार्टी में सहमति बनी थी।
* सुषमा स्वराज दिल्ली की 12 अक्तूबर, 1998 से लेकर 3 दिसंबर, 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।
* वे इस छोटे से कार्यकाल में दिल्ली के लिए कोई परिणाम मूलक काम नहीं कर सकीं।
करणीय -
* भाजपा को यदि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतना है तो पुराने प्रयोग की समीक्षा कर काम करना होगा।
* दिल्ली के सातों सांसद, केन्द्र सरकार के बजनदार मंत्री, संगठन के प्रभावी छत्रपों को समन्वय बनाना होगा।
* सेवा बस्तियों से लेकर लुटियन ज़ोन तक साधना होगा। कठिन लेकिन असाध्य नहीं है। बस पन्ना प्रमुखों तक को सक्रिय करना होगा।
* प्रवक्ताओं की ऐसी टीम हर वार्ड तक तैयार करनी होगी जो रोज टीवी डिवैट, यूट्यूब, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम और x पर तथ्यों के साथ सक्रिय रहें।
* वैचारिक परिवार को साध कर तालमेल बनाना होगा।
कांग्रेस -
# रजिया सुल्तान के शासन के सात सौ साल से भी अधिक समय बाद, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं।
# शीला दीक्षित ने लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली पर सरकार चलाई। किसी भी दल के लिए दिल्ली में लंबा कार्यकाल माना जाता है।
….................
बाक्स -
* केजरीवाल का भविष्य क्या- बोरा जी - अर्जुन सिंह जी का सिद्ध होगा ?
या खुराना -वर्मा -सुषमा स्वराज का।
* फिर भी क्या अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक रूप से ख़ारिज किया जा सकता है?
* क्या आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा या कांग्रेस के लिए आम आदमी पार्टी (आप) को चुनौती देना आसान होगा?
* यह भी सत्य है कि इस बार
दिल्ली विधानसभा में काबिज होने के लिए कांग्रेस और भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंकेंगी।
* भाजपा नेतृत्व यह नहीं भूल सकता कि वह दिल्ली की सत्ता से 1998 से बाहर है।
* लंगड़ी कांग्रेस और भ्रष्टाचार के दल-दल में फंसीं आप से भाजपा कैसे दिल्ली छीनती है,यह भविष्य के गर्त और भाजपा और संघ परिवार की एक जुटता पर निर्भर करती है।
* यह भी सत्य है कि भाजपा को इससे अच्छा अवसर आगे मिलेगा भी की नहीं?