"जापान में जापानी, चीन में चीनी तो हिन्दुस्थान में हिन्दी क्यों नहीं.
इस संम्बन्ध में हमारी स्थिति -
मातृभाषा पर हमारा स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं.
संस्कृत भाषा का स्थान क्या है ?
राष्ट्र भाषा हिन्दी हो या संस्कृत तय नहीं.
अंग्रेजी कैसे हटेगी नीति तय नहीं.
आइये कुछ तथ्यों को देखें -
1- नई शिक्षा नीति 2015 में संविधान की मान्यता प्राप्त 23भाषाओं को मातृभाषा का दर्जा प्राप्त हो और अनुच्छेद 350 (1)का कड़ाई से पालन कराते हुये वर्तमान व्यवस्था में पांचवी तक मातृभाषा शिक्षण का माध्यम हो. प्रयास करना पड़ेगा.
2- संस्कृत भाषा और पाणिनी व्याकरण के आधार पर जापान और जर्मनी ने अपनी भाषा का व्याकरण बनाकर संस्कृत को कम्प्यूटर की सबसे सक्षम भाषा मानी है, अत: संस्कृत भविष्य की सबसे अधिक रोजगारोन्मुखी, वैज्ञानिक -तकनीकी शिक्षा एवं मनुष्य निर्माण की भाषा होगी. क्योकि
एक जर्मन सर्वे के अनुसार 1998की स्थिति में संस्कृत में सबसे अधिक शब्द -102,87,50,00000 (एक सौ दो अरब सतासी करोड़,पचास लाख है. जो आगामी 20 वर्ष अर्थात् 2018 तक इसके दो गुने हो जायेंगे.
अस्तु संस्कृत भाषा का राजकीय सशक्तीकरण हो.
3. राष्ट्र भाषा संस्कृत हो एवं सरकारी राजभाषा हिन्दी हो जो संविधान में है, व्यवहार में नहीं.
4. राष्ट्र भाषा संस्कृत और राजभाषा के राजकीय सशक्तीकरण हेतु जनजागरण तथा अंग्रेजी को सहराजभाषा से हटाने हेतु संविधान संशोधन करना होगा.
इस कार्य के लिये योग्य व्यक्ति का उसी तरह चयन करना होगा जिस तरह पूज्य श्री गुरुजी ने एकनाथ जी का चयन किया था और उन्होंने सभी दलों के सांसदों से हस्ताक्षर कराकर गृहमंत्री लालबहादुर शास्त्री को दिया और नेहरू जी ने मुख्यमंत्री षड़मुखम् को संन्देश दे कर निर्विरोध विवेकानन्द शिला स्मारक बनवाई.
मित्रों सरकार की इच्छा शक्ति और कुशल
संगठन के मेधावी कार्यकर्ताओं से ही यह सम्भव होगा. और यू एन.ओ.तथा हिन्दी सम्मेलन इसमें कारक बनेंगे.
5- देवनागरी लिपि दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है, सभी भारतीय भाषाओं का लेखन देवनागरी में हो.
भाषा समस्या समाधान और राष्ट्रीय गौरव हेतु अपने सुझावों के साथ इसे पोस्ट करें
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