Saturday, 2 May 2020

सपने तो सपने होता हैं

एक दृश्य


मैंने एक सपना देखा, एक छोटा मंत्रिमंडल। तीस लोगों को विभाग बांट दिए गए। मंत्रियों ने प्रभार लिया । काम शुरू किया। फिर -

सलाहकार बुलाये गये। पूरे विभाग पर मैराथन चर्चा हुई। बौने-गिद्ध-दृष्टि प्राप्त सत्ताजयी सलाहकारों के द्वारा बडे-बाबू का पूरा व्यक्तित्व और कृतित्व पन्ने-दर-पन्ने साहब के सामने पलट कर रखा गया।

एक- साहब अकड़ू है। साहब इन-उन मंत्रियों के साथ उठते बैठते हैं। पुरानी सरकार में मलाईदार विभाग में थे। अंग्रेजी बहुत बोलते हैं। इतने शहर और प्रांत में, विदेश में इनकी इतनी सम्पत्ति है।

दूसरा- किस जाति के हैं। किस वर्ग के हैं। किस सम्प्रदाय के हैं। केन्द्र में इनका किससे सम्बंध है। आकाओं के तो ख़ास नहीं है।

तीसरा- क्या मुखिया के खास हैं ? क्या अपने से अधिक मुखिया की ज्यादा सुनेंगे ? फ़ाइल कितने दिन में लौटाते हैं। फाइल में नकारात्मक / सकारात्मक टिप्पणी कितनी देते हैं?

ऐसी अनेक पक्षों की चर्चा के बाद अनुभवी विशेष सहायकवि.क.आ.निज सहायक, लिपिक, आवक-जावक की तलाश प्रारंभ हुई। 

कुछ तो रिश्तेदारों से ही रखने का विचार तय हुआ। मसलन टाइपिस्ट पत्नी, बाडीगाड छोटाभाई आदि- आदि  

पत्नी झल्लाई मैं तुम्हारी टाइपिस्ट ? क्या इसी के लिए इतनी जगरता की थी । किसी तरह यह सांत्वना देकर शांत कराया गया की 'आप को टाइप थोड़े ही करना है, वह तो बाबू ही करेगा । आप के खाते में तो वेतन जायेगा  ! 

फिर बंगला आवंटन कराने, किस-किस बंगले में रह कर किसे कितनी लब्धियां मिली की पड़ताल।

आभार हेतु फूलों की तिलांजलि के साथ मंहगी मिठाइयों, अलंकारों की व्यवस्था तो पहले ही भावी पदाकांक्षियों ने कर दी।

फिर एक- कुर्ता-पायजामां, वस्त्रालंकार की व्यवस्था। 

दो- लैपटाप, सबसे बड़ी स्क्रीनवाली टीवी, चाय-जूश मशीन, वासिंग-मशीन, कम्प्यूटर, रसोई गैस, मंहगा आधुनिक चूल्हा, रंगीन पर्दे विभाग से बिना डिमांड के कैसे आये की चिंता के लिए व्यक्ति का चयन।

 ( स्मरण रहे साहब वनवास में थे । घर, पर्दा, कालीन आदि-आदि से वंचित कुछ-कुछ आज के क्रीमीलेयर के दलितों के समान)!!

 पुराने पदाधिकारियों में से कुछका बायोडाटा मिल ही गया जो हर सरकार में हर मंत्री का घरेलू कर्मी बनने की योग्यता रखता है। बड़ी बारीकी से उसने अपनी विशेषताएं बताई कि किन-किन बातों को आप चिंता न करते हुए जनता की सेवा कर सकेंगे-

 
एयर फेयर की चिंता नहीं करनी है। रेलवे में आपके साथ आने-जाने वालों की डबल टिकिट व्यवस्था रहेगी। ( यह डबल टिकिट व्यवस्था क्या है ? क्षेत्र के संभाग-जिले के अधिकारियों को यह निर्देश रहेगा कि वह आपके साथ आनेवालों की भोजन और ट्रेन टिकट की नगद व्यवस्था करेगा। यह समर्पण निधि खाते में रखी जाएगी और इसी आधार पर फील्ड के अधिकारी कृपा पा सकेंगे।) 

 वाहन व्यवस्था सामान्यरूप से तीन स्तरीय होगी। एक विभाग का, एक पूल कोटे का और एक क्षेत्र में परिवार के लिए निगम-मंडलों से, इसके अतिरिक्त एक पायलट वाहन के रूप में स्थानीय अधिकारियों द्वारा । दो वाहन अतिथि के आने-जाने आस-पास के स्थलों के दर्शन-पर्यटन के लिए विभिन्न प्रकार के माफियों द्वारा । 

एक निज सहायक जो पुराना पदत्राण-प्रूफ ( माफ़ करेंगें लतखोर ) होगा वह खान-पान की व्यवस्था, काम से बंगले में आने वाले, काम के इच्छुक अभ्यार्थियों, फाईल लाने वाले अधिकारियों से नित्य संपर्क करेगा। 

फिर विधानसभा क्षेत्र से आने-जाने वालों के स्वागत और देख- रेख के लिए एक सलाहकार-नौकर टाइप का रखा गया । 

आखिर यह सब करते छह माह बीत गये। अगले विस्तार की चिंता सताने लगी की तभी पत्नी ने झगझोरते हुए कहा उठो देखो अपने पुराने मंत्री जी पूजा पाठ में लग गए हैं । (ध्यान रहे ये पुराने मंत्री जी भी इसी दल के थे किन्तु  चतुर न होने से इस बार मंत्री पद नहीं प्राप्त कर सके ।) अभी मेहनत- मजदूरी करने चले जायेगें । नेता हो तो ऐसा जो सत्ता में रहे तो खेती करैं, अब नहीं है तो भी । 

आप ही हैं जो भष्ट मंत्रियों की तरह दिन में भी सपने देखते हो ।

04/05/2020
भोपाल




7 comments:

  1. रोचक और सत्य

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  2. सांकेतिक भाषा में सृजित रहस्य सुलझाव की अपेक्षा रखता है। अगले दृश्य की प्रतीक्षा रहेगी।

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  3. बहुत ही रोचक, वैविध्य और सामयिक विश्लेषण

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  4. Excellent composition. Congratulations docsb.

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  5. व्यंग्यात्मक कटाक्ष। स्वप्न कमोबेश जो वास्तविकता से मेल खाते हैं।

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  6. अनपेक्षित,निष्पक्ष,कालातीत ।

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